हरिद्वार

पर्यावरण संरक्षण व यमुना को प्रदूषण मुक्त करने में जुटा दयालबाग..

यमुना से ट्राली में भरकर निकाला गया कचरा, प्रेम दयाल ने दिया गलत व मिथ्या प्रचार का प्रतिउत्तर..

पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार: पिछले कुछ दिनों से दयालबाग द्वारा पर्यावरण संरक्षण एवं यमुना नदी को प्रदूषण से बचाने के लिए बैकुण्ठधाम पर किये जा रहे प्रयासों का बहुत ही गलत एवं भ्रमित प्रचार किया जा रहा है।ज्ञातव्य हो कि राधास्वआमी सतसंग सभा लगभग संवत् 205 वर्षों से भी अधिक समय से न केवल मानव एवं जीवित पशु-पक्षियों के वास्तविक कल्याणकारी कार्यों के प्रति जागरुक है अपितु निरन्तर प्रयासरत् रहे हैं। राधास्वआमी सतसंग सभा तथा विश्वभर में फैले इसके वास्तविक रूप से परोपकारी संस्थान / केन्द्र धरती माता एवं वास्तविक रूप से हितकारी पिता-माता (धरती माता / भारत माता जो ईसा पूर्व 3000 वर्षों से भी अधिक समय से आर्य संस्कृति के मान्यता प्राप्त प्रसारक स्वीकार किये जाते हैं। वर्तमान ब्रिटिश प्रधानमंत्री भारत वर्ष में जन्म से भारतीय नागरिक के रूप में पले एवं पोषे गए हैं और इस प्रकार से उन्होंने प्रतिबद्धता ब्रिटिश लोक सभा में महा – उपदेश भगवदगीता पर हाथ रख कर शपथ ली थी और प्रधानमंत्री का पद प्राप्त होने पर (अभी हाल ही में विश्व में प्रसिद्धि प्राप्त की है ( एवं फिर से महा-उपदेश भगवदगीता की दुहाई दे कर पूरे संसार को अचंभित कर दिया है और इस प्रकार पर्यावरण एवं जलवायु संरक्षण के प्रति अत्यंत / निरंतर संवेदनशील होने कि ख्याति प्राप्त की है! इस दिशा में उठाए जा रहे कदम अनुकरणीय एवं अतुलनीय हैं।

पाटा चलाकर यमुना में खनन माफियाओं के किए गए जानलेवा गड्ढों को भरते सत्संगी भाई व बहन

बैकुण्ठधाम के पास यमुना किनारे राधास्वआमी सतसंग सभा की कृषि योग्य भूमि है जहाँ वर्ष भर अनेक फसलें बोई एवं काटी जाती हैं, यही नहीं आर्गेनिक एवं प्रिसिशन फमिंग के लिए उचित बीजों को भी आर्गेनिक विधि से स्वयं उत्पन्न करने के लिए निरंतर प्रयासरत हैं। आपकी सूचना के लिए “इनआर्गेनिक कैमिकल्स” विशेषज्ञों द्वारा अत्यंत हानिकारक सत्यापित माने जाते हैं: – हमारी भूमि के साथ लगे यमुनातट/ “रिवरबेड” / नदी तल / नदी का ताल पर बहुत ही गंदगी फैलाई जाती रही है। असामाजिक एवं अवान्छनीय तत्व कई प्रकार की असामाजिक गतिविधियों एवं काले धंधे में लिप्त पाए गए हैं।राधास्वआमी सतसंग सभा ने अपने स्वयं सेवकों द्वारा सामाजिक कल्याण के प्रति जागरूकता से प्रभावित हो कर यमुना तट पर सफाई अभियान चला कर लगभग 10-12 ट्राली प्लास्टिक एवं अन्य प्रकार का कूडा हटा कर यमुना तट को पूर्ण रूप से प्रदूषण मुक्त कर दिया है।यहाँ यह भी उल्लेखनीय है कि दयालबाग़ शिक्षण संस्थान अपने अर्न्तराष्ट्रीय स्तर के शोध कार्यों में बहुत अग्रणी ख्याति एवं मान्यता प्राप्त है ( चैरिटेबल इंकॉर्पोरेटेड और्गेनाईज़ेशन के रूप में) । यहाँ के प्रोफेसर एवं विद्यार्थियों को यमुना एवं यमुना तट पर कई प्रकार के शोध पत्र एवं पेटेंट के रूप में मान्यता प्राप्त होने लगी है और इस के भविष्य में अनेक महत्त्वशील कार्य करने की सम्भावनाएं प्रतीत हो रही है। कई प्रकार की दुर्लभ जाति की वनस्पतियां तथा जडी-बूटियाँ यहाँ उपलब्ध हैं जिनके औषधीय एवं स्वास्थ्यवर्धक गुण मानवमात्र एवं पशु-पालन के लिए कल्याणकारी सिद्ध हो रहे हैं एवं भविष्य में बाहुल्य में हो सकते हैं। इससे उत्साहित हो कर दयालबाग़ शिक्षण संस्थान ने अपनी भूमि पर 3 प्रकार की शोधशालाएं स्थापित कर दी हैं तथा जल एवं मिट्टी की कई प्रकार से जाँच करनी शुरु कर दी है। नदी से कई प्रकार के नमूने लाकर उनकी विभिन्न प्रयोगशालाओं में जाँच की जाती है। दयालबाग़ शिक्षण संस्थान के शिक्षाविद् तथा सिविल इन्जीनीयर एवं आर्कीटेक्ट यमुना की स्थिति को देखकर सघन अध्ययन कर रहे हैं कि बाढ का पानी जो कि बह कर नष्ट हो जाता है उसको यमुना नदी में ही किस प्रकार संग्रहित किया जा सकता है जिससे यमुना हर समय जल से परिपूर्ण रहे तथा इससे भूजल के कुशलकारी वनस्पति के उत्पादन में सहयोग प्राप्त किया जाता रहा है एवं किया जाता रहेगा।यहीं पर प्रत्येक रविवार को ग्रामीणों के लिए Multi Speciality Medical Camp लगाया जा रहा है, जिसमें एलोपैथी, आयुर्वेद, होम्योपैथी, यूनानी एवं सिद्ध के रूप में हमारे डॉक्टर मुफ्त में अपनी सेवाएं प्रदान करते हैं। साथ ही ग्रामवासियों को हर प्रकार की दवाईयां निःशुल्क प्रदान की जाती हैं यही नहीं मल-मूत्र, खून (आधुनिक USG द्वारा) एवं मानसिक रोगों की जांच एवं इलाज भी निःशुल्क किया जाता है। आसपास के गावों के लगभग 350-400 ग्रामवासी प्रत्येक रविवार को इस कैम्प का लाभ उठाते हैं। इसके अतिरिक्त ग्रामीण बच्चों के लिए Computer का ज्ञान तथा कई प्रकार के ज्ञानवर्धक खेल भी उपलब्ध रहते हैं। बच्चों को इंगलिश बोलना तथा Art & Craft का ज्ञान भी दिया जाता है। बालिकाओं को सिलाई कढाई का प्रशिक्षण भी दिया जाता है। यमुना के उस पार बसे ग्रामीण भी चिकित्सीय सुविधा का लाभ उठाना चाहते हैं; उनको एवं विशेषज्ञों को लाने-लेजाने के लिए एवं नौकाविहार के लिए मनोरंजन एवं चिकात्सिय रूप में मोटर बोट का उपयोग किया जाता रहा है (ब्रिटिश राज्य में इनका उपयोग सामान्य रूप में गंगा, यमुना एवं ऐसी कई नदियों में होता रहा है )राधास्वआमी सतसंग सभा तो सदैव से ही आसपास के ग्रामीणों की मदद करती रही है। राधास्वआमी सतसंग सभा न तो किसी की सम्पत्ति या भूमि पर अतिक्रमण कभी नहीं किया ना ही अवैध कब्जा हासिल किया गया है। ऐसा अनर्गल आरोप ऐसे असामाजिक और स्वार्थी एवं “काला बाज़ारी” में रत तत्व लगाते रहते हैं जिनकी अवांछनीय एवं असामाजिक गतिविधियों से राधास्वआमी सतसंग सभा के कार्यों से अवरोध उतपन्न होता रहा है। यहाँ यह भी ध्यान देने योग्य है कि यमुना के उत्तरीय तट पर ग्रामीणों ने भूमि पर कंटीले तार लगाकर घेर रखा है, जिसमें विद्युतधारा प्रवाहित की जा रही है जो मनुष्यों एवं पशुओं के लिए बहुत घातक होती रही है। इसी प्रकार कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा एक दीवार भी अवैध रूप से बना दी गई है जिस पर डिस्ट्रिक्ट अथॉरिटीज़ ने अभी तक कोई संवैधानिक कदम नहीं उठाये हैं |राधास्वआमी सतसंग सभा तो शान्तिपूर्वक तरीके से बैकुन्ठधाम के यमुनातट को सुन्दर तथा आमजन के प्रयोग के लिए मनोरम स्थल के रूप में विकसित करना चाहते हैं। साथ ही यहाँ पर शोध की सम्भावनाओं को देखते हुए अति उत्तम अर्न्तराष्ट्रीय स्तर का शोध कार्य का सूत्रपात अपनी रिसर्च लैब में किया है। राधास्वआमी सतसंग सभा तो हमेशा से ही Law of Land को मानने वाली संस्था रही है जिसकी तारीफ अर्न्तराष्ट्रीय स्तर पर भी होने लगी है।अतः आप से निवेदन है कि स्वार्थी तत्वों के अर्नगल प्रचार से भ्रमित न हों तथा आप स्वयं बैकुन्ठधाम आकर राधास्वआमी सतसंग सभा द्वारा जनहित में किये जा रहे कार्यों का अवलोकन कर वस्तुस्थिति का सही आंकलन करें। श्री प्रेम दयाल जो उत्तर प्रदेश शासन में विशेषज्ञ रहे हैं कुछ पत्रकारों द्वारा वर्णित का समुचित लेखा-जोखा राधास्वआमी सतसंग सभा एवं डी. ई. आई. द्वारा वर्णित ख्याति प्राप्त प्रयोगशाला की गयी जाँचों से सम्बंधित मिथ्या प्रचार का प्रतिउत्तर उपलब्ध करा दिया गया है जो डी. ई. आई. द्वारा डिस्ट्रिक्ट प्रशासन एवं भ्रान्ति पूर्ण विवरण देने वाले पत्रकारोंकी संतुष्टि के हेतु अवलोकन एवं भ्रान्ति के खंडन के रूप में प्रस्तुत करा दिया है जो डी. ई. आई. के प्रशासन द्वारा उपलब्ध किया जा सकता है।

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