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हाकम के भंवर में फंसे 2015 भर्ती के दारोगा, जांच हुई तो कईयों की उतरेगी वर्दी..

छुट्टी की एप्लीकेशन न लिख पाने वाले भी बन गए थे दारोगा, वायरल तस्वीरें खोल रही पोल, जांच की उठ रही मांग..

पंच👊नामा-ब्यूरो
सुल्तान, हरिद्वार: उत्तराखंड अधीनस्थ चयन आयोग के पेपर लीक मामले में कई विभागों के अधिकारियों, कर्मचारियों की धरपकड़ करने वाला पुलिस महकमा खुद भूचाल की चपेट में आ गया है। हाकम सिंह के तार साल 2015 में हुई दारोगा भर्ती से भी जुड़े बताए जा रहे हैं। पिछले एक सप्ताह से हाकम सिंह के साथ वायरल हो रही दारोगाओं की तस्वीरों ने इस आशंका पर मुहर लगाने का काम कर दिया है। सूत्र बताते हैं कि उस समय भर्ती हुए कई दारोगा ऐसे भी हैं, जिन्हें छुट्टी की एप्लीकेशन तक लिखनी नहीं आती है। इसलिए भर्ती प्रक्रिया पर पहले से ही सवाल उठते रहे हैं।

फाइल फोटो

हाकम का चेहरा बेनकाब होने पर अब दारोगा भर्ती को लेकर सिर्फ एक ही सवाल सबके दिमाग में तैर रहा है कि 339 पदों में हाकम सिंह ने आखिर कितने अपात्र लोगों को दारोगा बनवाया है। यह भी साफ है कि पूरे मामले की निष्पक्ष जांच होती है तो कईयों की वर्दी उतरनी तय है।
इन दिनों उत्तराखंड में यूकेएसएसएससी पेपर लीक कांड छाया हुआ है। उत्तराखंड एसटीएफ ने ताबड़तोड़ कार्रवाई करते हुए नकल के पूरे गैंग को बेनकाब कर दिया है। लगातार धरपकड़ और गिरफ्तारियों के चलते हालात यह है कि सचिवालय तक में एसटीएफ का खौफ बना हुआ है। लेकिन इस कांड के सरगना हाकम सिंह रावत के साथ कुछ पुलिसकर्मियों की वायरल तस्वीरों ने पुलिस महकमे के भीतर ही बेचैनी पैदा कर दी है।

फाइल फोटो

दरअसल, प्रदेश में साल 2015-16 में 339 पदों पर पुलिस दारोगा भर्ती हुई थी। जिसको लेकर समय-समय पर सवाल उठते रहे हैं। हरिद्वार के लक्सर क्षेत्र के एक ही गांव के 10 से ज्यादा लोगों की भर्ती भी चर्चा का विषय रही है। अब 2015-16 बैच के कई दारोगाओं के साथ हाकम सिंह की तस्वीरों से पूरी भर्ती प्रक्रिया पर फिर से सवाल उठने लगे हैं और जांच की मांग की जा रही है। परीक्षा में जो लोग कुछ नंबरों की कमी के कारण सफल नहीं हो पाए, वह पुरजोर मांग कर रहे हैं कि पूरी प्रक्रिया की जांच की जाए। साथ ही जो लोग पारदर्शिता के साथ नियमानुसार भर्ती होेकर आए हैं, वह भी चाहते हैं कि जांच हो। चूंकि फिलहाल सभी लोग संदेह के दायरे में है। वह इसलिए जांच चाहते हैं कि उन पर लगा दाग धुल जाए। वहीं, महकमें में इस बात को लेकर चर्चाएं जोरों पर हैं कि रैंकर दरोगा भर्ती में तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत के करीबी रहे रणजीत रावत का हाथ भी हो सकता है। दरअसल, पूर्व में भी कुछ सिपाहियों ने यह मामला कोर्ट में ले जाकर नियुक्तियां पाई थी। फिलहाल भी कुछ केस सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन बताए जा रहे हैं। जांच की मांग तेज होने से कई दारोगाओं की धड़कनें बढ़ी हुई हैं।
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दूसरा विभाग करेगा दारोगा भर्ती कीजांच…….
बताया जा रहा है कि उत्तराखंड एसटीएफ ने पुलिस विभाग के बजाय किसी दूसरे विभाग या संस्था से इसकी जांच करवाने की सिफारिश उत्तराखंड शासन के गृह विभाग को दी है। ऐसे में अब देखना होगा कि दारोगा भर्ती की जांच कौन सा महकमा करता है और इसके तार कहां-कहां तक जाकर जुड़ते हैं।

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