
पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार: ज्वालापुर में तीन साल पहले गूंगी और मानसिक रूप से कमजोर युवती से दुष्कर्म करने वाले युवक को एडीजे/एफटीएससी न्यायाधीश कुमारी कुसुम शानी ने दोषी पाते हुए 10 वर्ष कैद की सजा सुनाई है। 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। पीड़िता और आरोपी के ब्लड सैंपल का मिलान न कराने पर कोर्ट ने विवेचक की लापरवाही को जिम्मेदार माना है। आर्डर की कॉपी एसएसपी को भेजी गई है, ताकि विवेचक पर कार्रवाई हो सके।
शासकीय अधिवक्ता भूपेंद्र कुमार चौहान ने बताया कि 24 मई 2019 को ज्वालापुर क्षेत्र में रास्ते से बुलाकर अपने घर पर ले जाकर गूंगी और मानसिक कमजोर युवती के साथ दुष्कर्म किया गया था। घटना के बाद पीड़ित युवती रोते हुए अपने घर पहुंची थी। घर पहुंचकर पीड़ित युवती ने अपनी दादी को आपबीती बताई थी। तब युवती के चाचा ने अभियुक्त बबलू पुत्र जमात अली निवासी अहबाबनगर कोतवाली ज्वालापुर के खिलाफ दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज कराया था। पुलिस ने बबलू को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। पुलिस ने मामले की विवेचना के बाद युवक के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी। शासकीय अधिवक्ता ने सरकार की ओर से आठ गवाह पेश किए। पीड़ित युवती मूकबघिर व अर्धविक्षिप्त थी। इसलिए निष्पक्ष जांच के लिए अभियुक्त का ब्लड सैंपल व पीड़ित युवती का ब्लड सैंपल लिया जाना जरूरी था। लेकिन बबलू ने ब्लड सैंपल देने से इंकार कर दिया, इसके बावजूद विवेचक ने कोई कार्रवाई नहीं की। न ही इसकी कोई वजह पत्रावली व अपनी विवेचना में दाखिल की। जबकि जघन्य अपराध की गहराई में जाने के लिए भी प्रयास होना चाहिए। संबंधित विवेचक की लापरवाही दर्शित होती हैं। ऐसी स्थिति में एफटीएससी कोर्ट ने निर्णय की एक प्रति एसएसपी हरिद्वार को भेजने के निर्देश दिए हैं।
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