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रुड़की के लिए गौरव के क्षण: आईआईटी की 175 वीं वर्षगांठ पर जारी होगा 175 का सिक्का..

ऐतिहासिक संस्थान के सम्मान में केंद्र सरकार ने लिया फैसला, जानिए आईआईटी का इतिहास और सिक्के की विशेषता..

पंच👊नामा-रुड़की: देश की नामचीन संस्थान आईआईटी के 175 वर्ष पूरे होने पर केंद्र सरकार 175 रुपये का विशेष सिक्का लॉन्च करेंगी, ये आईआईटी के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। पूरी तरह से आकर्षित इस 35 ग्राम वजनी सिक्के में 50 प्रतिशत चांदी होगी, साथ ही सिक्के के ऊपर भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान भी लिखा होगा ये जानकारी आईआईटी समारोह कमेटी के चेयरपर्सन अरुण कुमार ने दी।
जानकारी के मुताबिक़ आईआईटी रुड़की इस साल अपनी 175 वी वर्षगांठ मनाएगी। इस मौके पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित होंगे, आईआईटी की इस वर्षगांठ पर भारतीय केंद्र सरकार 175 रुपये का विशेष सिक्का जारी करने जा रही है। जो आईआईटी के लिए गौरव की बात है। आईआईटी समारोह कमेटी के चेयरपर्सन अरुण कुमार ने बताया 35 ग्राम वजन के इस सिक्के में 50 प्रतिशत चांदी और 40 प्रतिशत तांबा के साथ पांच-पांच प्रतिशत निकल व जस्ता का मिश्रण होगा। उन्होंने बताया सिक्के पर अशोक स्तंभ, सत्यमेव जयते के साथ-साथ भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान भी लिखा होगा। इस उपलब्धि पर आईआईटी के निदेशक प्रो. अजीत कुमार चतुर्वेदी ने केंद्र सरकार का आभार जताया और कहा कि ये आईआईटी के लिए बड़े गौरव की बात है कि 175 साल पूरे होने पर केंद्र सरकार 175 रुपये का आकर्षित विशेष सिक्का जारी करेगी। उन्होंने बताया संस्थान में ये कार्यक्रम कब होगा इसकी जानकारी जल्द ही सांझा की जाएगी।
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सिक्के की विशेषता…..
आईआईटी समारोह कमेटी के चेयरपर्सन अरुण कुमार के मुताबिक़ 44 मिलीमीटर गोलाई के इस सिक्के के मुख्य भाग पर IIT रुड़की के मुख्य प्रशासनिक भवन जेम्स थॉमसन इमारत का फोटो होगा। इस फोटो के नीचे हिस्से में 175 वर्ष लिखा होगा। इसके साथ ही, इस इमारत के ऊपरी व निचले इससे पर अंग्रेजी में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान लिखा होगा। वहीं जेम्स थॉमसन इमारत के नीचे एक ओर 1847 और दूसरी ओर 2022 लिखा होगा। उन्होंने बताया इसके अलावा सिक्के के दूसरी तरफ अशोक स्तंभ के नीचे सत्यमेव जयते और रुपये के चिह्न के साथ 175 लिखा होगा। एक ओर हिंदी में भारत व दूसरी तरफ अंग्रेजी में इंडिया लिखा होगा। अरुण कुमार ने बताया सिक्के की अनुमानित कीमत करीब चार हजार रुपये के आसपास होगी।
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आईआईटी रुड़की का इतिहास…
रुड़की कॉलेज की स्थापना 1847 में लॉर्ड डलहौजी द्वारा, भारत के सबसे पहले इंजीनियरिंग कॉलेज के रूप में हुई थी। लेकिन इस कॉलेज मे इंजीनियरिंग की पढा़ई का कार्य 1845 में ही शुरु कर दिया गया था और इसका कारण, उस समय शुरु हुए लोक निर्माण कार्य में सहायता देने के लिए स्थानीय युवाओं को प्रशिक्षित करना था। 1854 में कॉलेज का नाम बदल कर गंगा नहर के प्रभारी मुख्य इंजीनियर और 1843-53 के बीच रहे भारत के लेफ्टिनेंट गवर्नर सर जेम्स थॉमसन के नाम पर थॉमसन सिविल इंजीनियरिंग कॉलेज कर दिया गया। सन 1948 में संयुक्त प्रांत (उत्तर प्रदेश) ने अधिनियम संख्या IX के द्वारा कॉलेज के प्रदर्शन और स्वतंत्रता के बाद के भारत निर्माण के कार्य में इसकी क्षमता को ध्यान में रखते हुए को इसे विश्वविद्यालय का दर्जा प्रदान किया। स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू, ने 1949 नवंबर में चार्टर प्रस्तुत कर कॉलेज का रुतबा बढ़ाकर इसे स्वतंत्र भारत का पहला अभियांत्रिकी विश्वविद्यालय घोषित किया। 21 सितम्बर 2001 को संसद में एक विधेयक पारित करके इस विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय महत्व का संस्थान घोषित किया गया था और इसे रुड़की विश्वविद्यालय से बदलकर भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-रुड़की कर दिया गया।

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