
पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार: उत्तराखंड अधीनस्थ चयन आयोग के पेपर लीक प्रकरण में मास्टरमाइंड हाकम सिंह को लेकर हर रोज नए खुलासे हो रहे हैं। अभी तक की पड़ताल में यह बात साफ हो चुकी है कि हाकम सिंह सरकार और सरकारी विभागों में गहरी पैठ के बल पर नकल का अवैध धंधा चला रहा था। पूर्व मुख्यमंत्री और डीजीपी के साथ तस्वीर वायरल होने के बाद अब हाकम सिंह की तीन दारोगा के साथ फोटो वायरल हो रही है। यह फोटो खुद हाकम सिंह ने 2015 में दारोगाओं के ट्रेनिंग पर जाने के दौरान फेसबुक पर डाली थी।

दारोगा का नाम जनेंद्र सिंह, नितिन व्यास और राज व्यास बताया जा रहा है। फेसबुक पर डाली गई इस तस्वीर के कैप्शन में हाकम सिंह ने लिखा है कि छोटे भाइयों को दारोगा की ट्रेनिंग के लिए वह देहरादून पुलिस लाइन छोड़ने आया है। क्या वाकई तस्वीर में दिख रहे दारोगा नकल माफिया हाकम सिंह के भाई है या फिर उनके बीच कोई और कनेक्शन है। बताया जा रहा है कि राज व्यास की 2nd और जैनेन्द्र 18वीं रैंक थी।

यह फोटो पुलिसकर्मियों के ग्रुप में पर जमकर वायरल हो रही है। हालांकि, ये तीनों दारोगा फिलहाल किस-किस जिले में तैनात है अभी यह पता नहीं चल पाया है। अलबत्ता हाकम सिंह के साथ उनकी फोटो ने नई चर्चाओं को जन्म दे दिया है।
————————————-
अब तक 20 आरोपी गिरफ्तार….
एसटीएफ की पड़ताल में आए दिन नए खुलासे हो रहे हैं। इस प्रकरण में अब तक शिक्षक, इंजीनियर, क्रशर मालिक समेत 20 आरोपी पकड़े जा चुके हैं। लेकिन इन 20 चेहरों में एक ऐसा चेहरा है, जिसके बारे में हर कोई जानना चाहता है। वह हाकम सिंह है। उत्तरकाशी के निवासी हाकम सिंह के राजनीतिक पृष्ठभूमि के साथ-साथ विदेशों तक कारोबार होने का दावा किया जा रहा है।
————————————–
हरिद्वार में सीखी गोरखधंधे की एबीसीडी….
सरकारी नौकरियों के सौदागर हाकम सिंह रावत ने हरिद्वार से इस धंधे की एबीसीडी सीखी थी। इस धंधे से वह अकूत संपत्ति बना चुका है। पैसा कमाने के लिए उसने सत्ता की सीढ़ियों का भी खूब इस्तेमाल किया। वह लगातार कद्दावर नेताओं के दरबार में हाजिरी लगाता था। हाकम सिंह रावत एक समय वह पैसों की तंगी से जूझ रहा था। वह किसी के माध्यम से उत्तरकाशी के एक प्रशासनिक अधिकारी के घर कुक का काम करने लगा। कुछ दिनों बाद उस अधिकारी का ट्रांसफर हरिद्वार हुआ तो वह हाकम सिंह को भी अपने साथ ले गए। यहां वह अधिकारी का प्राइवेट ड्राइवर बन गया। हरिद्वार में वह कुछ प्रभावशाली लोगों के संपर्क में आया और उसे पेपर लीक कराने के धंधे का पता चला। वर्ष 2019 के पंचायत चुनाव में वह जिला पंचायत सदस्य बन गया। यहां से शुरू हुआ उसका असल खेल। जिला पंचायत की राजनीति में आकर उसने कई बड़े अधिकारियों और नेताओं के बीच अपनी पहचान बना ली।