शराब कांड पर पुलिस और प्रशासन के दावे जुदा, डीएम ने दी सफाई, न्यायिक जांच से उलझी पुलिस की थ्योरी..
पुलिस ने एक आरोपी को भेजा जेल, प्रशासन की जांच में 8 प्रत्याशियों के नामों का खुलासा, पहले दिन से चल रहा शह मात का खेल..

पंचनामा-ब्यूरो
हरिद्वार: पथरी शराब कांड में 12 ग्रामीणों की मौत होने के कई दिन बाद भी पुलिस और प्रशासन के दावों में उलटफेर नजर आ रहा है। इस बीच प्रशासन को बैकफुट पर आना पड़ा है। जिलाधिकारी विनय शंकर ने शराब पीने से मौत की बात स्वीकार करते हुए कहा कि मीडिया में उनका बयान तोड़ मरोड़ कर पेश किया गया।
जिलाधिकारी ने एक वीडियो में कई बार स्पष्ट करते हुए कहा कि मैंने उसमें प्रथम दृष्टया वर्ड यूज किया था और कहा था कि प्रथम दृष्टया यह जहरीली शराब का मामला प्रतीत नहीं होता है। वहीं, इस मामले में पुलिस ने अगले दिन खुलासा करते हुए प्रधान प्रत्याशी के पति बिजेंद्र को गिरफ्तार किया था।

साथ ही बताया गया था कि बिजेंद्र ने कोल्ड ड्रिंक की बोतलों में भरकर जो कच्ची शराब बांटी थी, उसी से ग्रामीणों की मौत हुई है। लेकिन प्रशासन की न्यायिक जांच ने पुलिस की पूरी थ्योरी ही उलझा दी है। अभी तक की जांच में सामने आया है कि केवल एक प्रत्याशी ने नहीं बल्कि 8 प्रत्याशियों ने शराब पिलाई थी। ऐसे में यह सवाल खड़े हो गए हैं कि फिर पुलिस ने केवल एक ही प्रत्याशी के पति को जेल क्यों भेजा और बाकी प्रत्याशियों को क्लीन चिट क्यों दे दी गई।

पथरी शराब कांड में ग्रामीणों की मौत के बाद अब दर्द पर मरहम लगाने का काम शुरू हो गया। जनप्रतनिधियों के बाद प्रशासन भी मृतकों के परिजनों के आंसू पोंछने आगे आया है। इस मामले में पुलिस और आबकारी विभाग पर गाज गिर चुकी है। लेकिन कई सवाल अभी बाकी हैं।

प्रशासन ने घटना के फौरन बाद यह दावा किया कि मामला जहरीली शराब से जुड़ा प्रतीत नहीं होता है। यह भी दावा किया गया कि गांवों में कोई बीमार नहीं है। लेकिन अगले ही दिन तीन ग्रामीणों की मौत हुई। साथ ही जिले के पुलिस कप्तान डा. योगेंद्र सिंह रावत ने खुद पत्रकार वार्ता कर एक प्रत्याशी के पति बिजेंद्र की गिरफ्तारी की जानकारी मीडिया को दी और खुलासा किया कि कोल्ड ड्रिंक की बोतलों में भरकर बांटी गई शराब पीने से ग्रामीणों की मौत हुई है।

जिससे ग्रामीणों की मौत का कारण बनी शराब का चुनाव कनेक्शन खुलकर सामने आ गया। इसके बाद तीसरे दिन भी बीमार के सामने आने और मरने का सिलसिला जारी रहा। जनप्रतिनिधियों और भाजपा कांग्रेस नेताओं के मृतकों के घर पहुंचकर सांत्वना देने और मदद का भरोसा दिलाए जाने के बाद आखिरकार जिलाधिकारी ने भी शराब कांड को लेकर प्रशासन की स्थिति स्पष्ट की है।

जिलाधिकारी ने कहा कि उन्होंने घटना के बाद प्रेस नोट जारी किया था, उसमें प्रथम दृष्टया शब्द का इस्तेमाल किया था। कहा कि चीजे जैसे-जैसे बढ़ती है, वैसे-वैसे डेवलपमेंट होते हैं। उसको देखते हुए मुझे लगा था कि यह ओवरडोज का नतीजा है या कुछ और है। इसलिए मैंने सिर्फ प्रथम दृष्टया शब्द इस्तेमाल किया था। डीएम ने कहा कि उनके बयान को तोड़ मरोड़ कर पेश किया गया है। दूसरी तरफ, न्यायिक जांच एसडीएम सदर पूरण सिंह राणा कर रहे हैं।

गुरुवार को दैनिक “हिंदुस्तान में प्रकाशित एक खबर के मुताबिक, उनकी जांच में आठ प्रत्याशियों के शराब पिलाने की बात सामने आ चुकी है। जिससे साफ है कि बाकी प्रत्याशी भी संदेह के दायरे में हैं। पुलिस और प्रशासन के दामों में असमानता पहले दिन से नजर आ रही है।

दरअसल, कई अधिकारी पहले दिन से इस मामले पर पर्दा डालने में जुटे रहे। सवाल यह कि अधिकारियों ने जितना ध्यान मामले को ढकने और छुपाने पर केंद्रित किया, यदि उतनी ही शिद्दत पहले दिन शराब पीने से बीमार ग्रामीणों को घर-घर से ढूंढ कर लाने में दिखाई होती तो शायद समय पर उपचार मिलने से कई ग्रामीणों की जान बचाई जा सकती थी।