धर्म-कर्महरिद्वार

साबिर पाक की विलादत 19 रबीउल अव्वल को मनाया गया जश्न-ए-साबिर पाक, अकीदतमंदों ने सजाई महफ़िल..

पंच👊नामा
पिरान कलियर: मेंहदी डोरी की रस्म के साथ शुरू हुआ हजरत साबिर पाक का सालाना उर्स 19 रबीउल अव्वल (साबिर पाक की विलादत) जश्न-ए-साबिर पाक के साथ सम्पन्न हुआ, जिसमें अकीदतमंदों ने फातिहा ख़्वानी, लंगर और महफ़िल-ए-समा का आयोजन किया। दरअसल 19 रबीउल अव्वल साबिर पाक की विलादत का दिन है, इसी वजह से अकीदतमंदों ने दरगाह परिसर में जश्न-ए-साबिर पाक मनाया। शाहबजादा शाह यावर एजाज़ साबरी की सरपरस्ती में खत्म शरीफ़ और महफ़िल-समा का आयोजन हुआ, जिसमे कव्वालों ने साबिर पाक की शान में कलाम पेश किए। इस मौके पर सज्जादानशीन प्रतिनिधि शाह सुहैल मियां, नोमी मिया, असद मिया, गाजी मिया आदि मौजूद रहे। वही दूसरी ओर मुख्य खादिम अब्दुल सलाम, खादिम अब्दुल रहमान उर्फ बाबू साबरी, अब्दुल समद साबरी, सूफी अज़ीम साबरी, चौ. गुलजार साबरी, अली रजा साबरी, इमरान साबरी, बाबा मिशी शाह, रहीम साबरी, निसार हुसैन साबरी, अर्शी हुसैन, हुरमत साबरी, मोइन साबरी, वैसाद साबरी, शाहबाज शाह आदि ने भी जश्न-ए-साबिर पाक की महफ़िल सजाई। जानकारी के मुताबिक़ हजरत सैय्यदना मखदूम अलाउद्दीन अली अहमद साबिर पाक जिनका बचपन का नाम अली अहमद था, बड़े सब्र पर उनके पिरोमुर्शिद बाबा फरीद ने अली अहमद को साबिर के नाम से नवाजा। 19 रबीउल अव्वल को अफगानिस्तान के हेरात शहर में साबिर पाक की विलादत (जन्म) हुआ। साबिर पाक के वालिद-ए-मोहतरम हजरत अब्दुल रहीम अब्दुल सलाम वालिदा बीबी हाजरा, जमीला खातून और मामू हजरत बाबा फरीद गंज शकर की सरपरस्ती में साबिर पाक की परवरिश हुई। अपने पिरोमुर्शिद बाबा फरीद गंज शकर से खिलाफत नामा लेकर साबिर पाक पिरान कलियर आए, जहा उन्होंने याद-ए-इलाही में जीवन यापन किया। इसी वजह से दरगाह पिरान कलियर को सुफिईज्म का बड़ा मरकज़ कहा जाता है। जानकार बताते है कि साबिर पाक की विलादत का दिन 19 रबीउल अव्वल है।
——————————- 1 रबीउल अव्वल से 19 रबीउल अव्वल तक उर्स….
रबीउल अव्वल का चांद दिखाई देने पर साबिर पाक का उर्स मेहदी डोरी की रस्म के साथ शुरू होता है। इसके बाद विभिन्न रसुमात के साथ और सूफ़िया इकराम के कुल शरीफ व महफिलों के साथ 19 रबीउल अव्वल यानी जश्न-ए-साबिर पाक के साथ उर्स का विधिवत समापन हो जाता है। देर रात दरगाह साबिर पाक परिसर में साबिर पाक के यौमे विलादत पर खत्म शरीफ और महफ़िल-ए-समा का आयोजन हुआ।

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