हरिद्वार

जंग का मैदान बना निर्मल अखाड़ा, हंगामे के बाद पुलिस ने पंजाब के संतों को उठाकर बाहर निकाला..

अरदास के बहाने अखाड़े में दाखिल हुए रेशम सिंह पक्ष के संत, बोले चाहे पुलिस गोली क्यों ना मार दे, फिर एक्शन में आई पुलिस..

पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार: कनखल का निर्मल अखाड़ा गुरुवार की सुबह जंग का मैदान बन गया श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह और श्रीमंत रेशम सिंह पक्ष के संतों में लंबे समय से चले आ रहे विवाद के बीच गुरुवार सुबह पंजाब से अस्थि विसर्जन के लिए आए कुछ संत गुरुद्वारे में अरदास के नाम पर निर्मल अखाड़ा में दाखिल हो गए। कई घंटे बाद भी जब पंजाब से आए संत गुरुद्वारे से बाहर नहीं निकले, तब ज्ञानदेव सिंह पक्ष के संतों ने पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने दोनों पक्षों से वार्ता की। महंत प्रेम सिंह सहित पंजाब से आए संतों का कहना था कि अरदास 48 घंटे तक चलती है। इसलिए वह इससे पहले गुरुद्वारे से बाहर नहीं जाएंगे, चाहे पुलिस ने गोली ही क्यों ना मार दे। काफी देर बातचीत के बाद भी संत बाहर निकलने को तैयार नहीं हुए तो सीओ सिटी मनोज ठाकुर के अगुवाई में कनखल और शहर कोतवाली की पुलिस ने मिलकर संतो को उठाकर पुलिस की गाड़ी में बैठा लिया और अपने साथ ले गए। इस दौरान जमकर हंगामा हुआ।
दरअसल, कनखल के निर्मल अखाड़ा में श्रीमंत ज्ञानदेव सिंह और श्रीमहंत रेशम सिंह पक्ष के बीच लंबे समय से विवाद चला आ रहा है। दोनों गुटों के संत अपने-अपने श्रीमहंत को अखाड़े का अध्यक्ष बताते हैं और एक दूसरे को फर्जी बताते आ रहे हैं। यहां तक की दोनों अखाड़ा परिषद भी अलग-अलग गुट के साथ खड़ी है। बीते जुलाई माह में भी यह मामला तूल पकड़ गया था, जब पंजाब से आए संतों ने अखाड़ा मुख्यालय कूच करने का ऐलान किया था। बाद में पुलिस प्रशासन ने समझा-बुझाकर कुछ समय मांगते हुए उन्हें शांत करा दिया था। एक बार फिर रेशम सिंह पक्ष के संत गुरुवार की सुबह अखाड़ा मुख्यालय पहुंच गए। जिससे दोनों गुटों में गतिरोध बढ़ गया। मालूम हुआ है कि रेशम सिंह पक्ष के कुछ संत एक दिवंगत संत की अस्थियां बहाने कनखल आए थे। सती घाट पर अस्थियां वह आने के बाद वह नजदीक ही स्थित अखाड़ा मुख्यालय पहुंचे और अंदर बने गुरुद्वारे में अरदास करने की इच्छा जताई। श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह पक्ष के संतों ने उन्हें अंदर आने की अनुमति दे दी। इसके बाद वह घंटों तक बाहर ही नहीं निकले, तब दूसरे पक्ष का माथा ठनका और पुलिस को सूचना दी गई। बहरहाल पुलिस ने अब इसे कब्जे का प्रयास मानते हुए बाहर से आए संतों को अखाड़े से निकाल दिया है, एहतियात के तौर पर पुलिस बल तैनात किया गया है। दोनों ही गुट एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं गुरुवार सुबह की घटना से निर्मल अखाड़े का विवाद एक बार फिर तूल पकड़ गया है। देखने वाली बात यह होगी कि आने वाले दिनों में इस घटना का क्या असर संत जगत में देखने को मिलता है और पुलिस प्रशासन शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए क्या कदम उठाता है।

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