
पंच👊नामा
सुल्तान, हरिद्वार: भारत जोड़ो यात्रा की अगुवाई करते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी रोजाना सैकड़ों मील पैदल चल रहे हैं। लेकिन उत्तराखंड में उनकी पार्टी की चाल इतनी सुस्त है कि कछुआ भी शर्म से पानी-पानी हो जाए।

प्रदेश नेतृत्व के नकारेपन के चलते हरिद्वार जिला पंचायत चुनाव में करारी हार का सामना करने के बाद कांग्रेस ने पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव प्रचार को भी कतई गंभीरता से नहीं लिया।

प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा को स्टार प्रचारकों की लिस्ट जारी करने में इतना समय लग गया कि चुनाव प्रचार बंद होने का दिन नजदीक आ पहुंचा। इतने कम समय में उत्तराखंड के नेताओं ने स्टार प्रचारक के तौर पर हिमाचल जाकर कौन सी जादुई छड़ी घुमाई होगी, यह तो चुनाव के नतीजे ही बताएंगे, लेकिन प्रदेश नेतृत्व की कार्यशैली पर एक बार फिर सवाल खड़े हो रहे हैं। गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव में हरिद्वार जिले से कांग्रेस की सीटें तीन से बढ़कर पांच हुई। जिससे साफ था कि इस बार पंचायत चुनाव में कांग्रेस के जिला पंचायत सदस्यों की संख्या में बढ़ोतरी होगी। लेकिन हुआ इसके ठीक उलट। संगठन नाम की कोई चीज जिला पंचायत चुनाव में नजर नहीं आई।

प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा ने एक बार भी हरिद्वार आगर जिला पंचायत चुनाव की रणनीति बनाने की जहमत नहीं उठाई। बिना संगठन चुनाव लड़ने का नतीजा यह निकला कि हर बार किंग मेकर की भूमिका निभाने वाली कांग्रेस इस चुनाव में बसपा की ही तरह बुरी तरह पराजित हुई। इस हार से भी पार्टी ने कोई सबक नहीं लिया। जिसका ताजा उदाहरण हिमाचल प्रदेश चुनाव प्रचार में सामने आया है। प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव और प्रदेश अध्यक्ष करण महारा के निर्देश पर संगठन महामंत्री विनय सारस्वत ने 8 नवंबर को हिमाचल चुनाव के लिए स्टार प्रचारकों की सूची जारी की। महज कुछ घंटे पहले सूची जारी होने के बाद कितने स्टार प्रचारक हिमाचल चुनाव में पहुंचे और जो पहुंचे उन्होंने क्या करिश्मा दिखाया, यह अलग बात है। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि प्रदेश कांग्रेस ने स्टार प्रचारकों की सूची जारी करने में आखिर इतना वक्त क्यों लगाया।
इसको लेकर कार्यकर्ताओं में भी तरह-तरह की चर्चाएं बनी हुई है। कई राज्यों में भारत जोड़ो यात्रा निकालकर पार्टी के भीतर जान फूंकने में जुटे राहुल गांधी की जद्दोजहद से भी उत्तराखंड कांग्रेस ने कोई प्रेरणा नहीं ली।

हरिद्वार के कांग्रेसियों का मानना यह है कि करण माहरा के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद उत्तराखंड में कांग्रेस और ज्यादा रसातल में चली गई है। कार्यकर्ता अब पुराने प्रदेश अध्यक्षों को याद करने लगे।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता संजय सैनी, सुरेंद्र प्रजापति, राजीव चौहान, अशोक आदि का कहना है कि करण माहरा से तो गणेश गोदियाल व प्रीतम सिंह बेहतर थे। माहरा तो चुनाव दर चुनाव पार्टी की लुटिया डुबोने में लगे हैं।