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ऊर्जा निगम टीम से धक्का-मुक्की में युवक की मौत, हंगामा..

बिल जमा न होने पर कनेक्शन काटने गई थी विजिलेंस, अंकिता हत्याकांड में मंत्री बोले कमरे का नाम वीआईपी..

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पंच👊🏻नामा-ब्यूरो
उत्तराखंड डेस्क: बिजली का बिल जमा न होने पर कनेक्शन काटने गई विजिलेंस टीम की एक परिवार से धक्का-मुक्की हो गई। इसी दौरान घर का मालिक बेहोश हो गया और अस्पताल ले जाने पर उसे मृत घोषित कर दिया गया।

फाइल फोटो

इसके बाद परिवार व बस्ती वालों ने जमकर हंगामा काटा। मामला तीर्थनगरी ऋषिकेश की जाटव बस्ती का है। पुलिस के मुताबिक, नई जाटव बस्टी ऋषिकेश निवासी सोनू (40 वर्ष) पुत्र श्याम सिंह पर बिजली का बकाया चला आ रहा था। महीनों से बिजली का बिल जमा न कराने पर ऊर्जा निगम ने नोटिस भी दिए थे।

फाइल फोटो

बताया गया है कि बुधवार को ऊर्जा निगम की विजिलेंस टीम कनेक्शन काटने के लिए पहुंची थी। उसी दौरान टीम और परिवार के बीच धक्का-मुक्की होने पर सोनू बेहोश हो गया। अस्पताल ले जाने पर मृत घोषित करने की सूचना पर आस पास के लोग इकट्ठा हो गए और हंगामा किया।

फाइल फोटो

आरोप लगाया कि सोनू की मौत ऊर्जा निगम के अधिकारियों कर्मचारियों की धक्का मुक्की से हुई है, उनके खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया जाए। एसएसआई डीपी काला ने उन्हें समझाने का प्रयास किया। फिलहाल पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया है।
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फाइल फोटो: अंकिता भंडारी

अंकिता हत्याकांड में मंत्री के बयान पर बवाल….
अंकिता भंडारी हत्याकांड में कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के बयान पर आंदोलनकारी भड़क गए। विरोध प्रदर्शन करते हुए मंत्री का पुतला फूंका गया।

फाइल फोटो

आरोप है कि विधानसभा सत्र के बाद संसदीय कार्य मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने अंकिता भंडारी हत्याकांड को लेकर कहा था कि वनंतरा रिजॉर्ट में कोई भी वीआइपी नहीं मिला है। कमरे का नाम वीआइपी है, इसमें रुकने वाले को वीआइपी कहा जाता है। उनके इस बयान से नाराज युवा संघर्ष समिति के बैनर तले आंदोलनकारियों ने बुधवार को ऋषिकेश में मंडी तिराहा हरिद्वार रोड पर विरोध प्रदर्शन कर प्रेमचंद्र अग्रवाल का पुतला फूंका।

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गौरतलब है कि वीआइपी के नाम का खुलासा और सीबीआइ जांच की मांग को लेकर 49 दिन से आंदोलन चल रहा है। पांच आंदोलनकारी चार दिन से बेमियादी अनशन पर हैं। आंदोलनकारियों का कहना है कि अभी तक मामले की चार्जशीट तक दाखिल नहीं हुई है, मामला उच्च न्यायालय नैनीताल में विचाराधीन है। सरकार के संसदीय कार्य मंत्री वीआइपी को कैसे क्लीनचिट दे रहे हैं। बेटी को न्याय देने की बात करने वाली सरकार खामोश क्यों है।

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