हरिद्वार

पनचक्की से मजार हटाने पर दरगाह साबिर पाक के सज्जादानशीन ने सीएम धामी को लिखी चिट्ठी..

प्रशासन पर सुप्रीम कोर्ट की नियमावली का उल्लंघन करने का आरोप..

पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार: बहादराबाद स्तिथ पनचक्की में बने 150 वर्ष पुरानी मज़ार को हटाने के मामले में दरगाह साबिर पाक के सज्जादानशीन शाह अली एजाज़ कुद्दुसी साबरी ने सूबे के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र भेजकर कहा कि उत्तराखण्ड राज्य में धार्मिक स्थल मजार, दरगाह को बिना किसी कानूनी कार्यवाही को अपनाए हटाया जा रहा है जिससे मुकामी, स्थानीय लोगों में काफी रोष है।

फाइल फोटो: उत्तराखंड सीएम पुष्कर सिंह धामी

जबकि सरकार ने केवल गैर कानूनी तौर पर वर्ष 2009 के बाद बने धार्मिक स्थलों को हटाए जाने के बारे में में शासनादेश जारी किया गया था। वर्ष 2009 में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए आदेशों को देखते हुए वर्ष 2016 में सूबे के सरकार ने नियमावली बनाते हुए एक समिति का गठन किया था। बनाई गई नियमावली में स्पष्ट उल्लेख किया गया था कि माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा पारित आदेश दिनांक 29.09.2009 के बाद किए गए निर्माण को हटाया जाएगा या फिर सरकारी भूमि पर बने ऐसे धार्मिक स्थलों को हटाया जाएगा जो वास्वत में जन भावना, धार्मिक श्रद्धा से न जुड़ा होकर उसकी आड़ में आवासीय/व्यसायिक अतिक्रमण किया गया है।

सज्जादानशीन द्वारा सीएम धामी को भेजा गया पत्र

नियमावली के मुताबिक ऐसे निर्माण को भी हटाने की बात की गई थी जिसके कारण आवागमन में अवरोध उत्पन्न हो रहा है या जन साधारण के राजकीय कार्यों के संचालन में असुविधा हो रही है।

फाइल फोटो

लेकिन नियमावली को ताक पर रखते हुए प्रशासन द्वारा बीते सोमवार को बहादराबाद स्तिथ पनचक्की में 150 वर्ष पुरानी मज़ार को हटा दिया गया। प्रशासन के इस कार्य से सूफी संतो में काफी रोष है और वह सरकार के विरूद्ध आवाज उठाने के लिए संगठित होने को मजबूर हो रहे है।

फाइल फोटो: सज्जादानशीन शाह अली एजाज़ कुद्दुसी साबरी

उन्होंने सीएम धामी से मांग करते हुए कहा कि उत्तराखण्ड में मौजूद सभी मजार, दरगाह व इबादतगाहों को बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के अपनाए ध्वस्त न किया जाए। इस संबंध में अधिकारियों को अपने स्तर से निर्देशित करने का कष्ट करें और धार्मिक स्थलों के सम्बन्ध में सभी की भावनाओं का ख्याल रखते हुए केवल एक खास समुदाय के धर्मस्थलों को टार्गेट न किया जाए, साथ ही धार्मिक स्थलों के सम्बन्ध में पूरी निष्पक्षता और पारदर्शिता से कार्यवाही की जाए ताकि किसी की धार्मिक आस्थाएं आहत न हों।

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