
पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार: पिछले दिनों ज्वालापुर आर्य नगर क्षेत्र से हटवाए गए चंदन वाले मजार का मामला धीरे-धीरे ठंडा पड़ने के बीच एक पटवारी के नाम पर डाक से पहुंचे संदिग्ध पत्र ने हलचल पैदा कर दी है।

पत्र में अजीबोगरीब तरीके से धमकियां देते हुए 1 माह के भीतर दोबारा धर्मस्थल का निर्माण कराने की मांग की गई है। पत्र जिलाधिकारी को संबोधित है, लेकिन पटवारी को मिला है।

भेजने वाले का नाम हिंदू मुस्लिम एकता कमेटी लिखा गया है। भाषा शैली और भेजने के तरीके से ही पूरा मामला संदिग्ध लग रहा है। लेकिन सवाल यह है कि पत्र आखिर किसने भेजा और उसके पीछे उसका उद्देश्य क्या है।

पिछले दिनों ज्वालापुर आर्यनगर क्षेत्र से पुलिस प्रशासन नगर निगम व अन्य विभागों की संयुक्त टीम ने सड़क किनारे बने चंदन वाले मजार को जेसीबी से हटवा दिया था। जिसको लेकर मुस्लिम समुदाय के लोगों ने नाराजगी भी जताई थी।

मामला हाईकोर्ट पहुंचने के बाद अब धीरे-धीरे यह प्रकरण ठंडा होने की तरफ बढ़ रहा था। लेकिन हरिद्वार तहसील के पटवारी दिवेश सिंह के नाम डाक से पहुंचे एक पत्र में जिलाधिकारी को संबोधित करते हुए लिखा गया है कि आर्यनगर क्षेत्र से जबरन धर्मस्थल को हटाया गया।

लेकिन दूसरे सम्प्रदाय के कई धर्मस्थल अभी भी सरकारी भूमि पर बने हुए हैं। पत्र में धमकी देते हुए लिखा है कि जल्द ही धर्मस्थल का दोबारा निर्माण कराया जाए। अन्यथा किसी घटना के लिए तैयार रहें।

तहसील अधिकारियों ने पूरे प्रकरण से जिलाधिकारी धीराज सिंह गर्बयाल को अवगत कराया है। गौरतलब है कि पूर्व में आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के नाम से इस तरह के संदिग्ध पत्र हरिद्वार रेलवे स्टेशन पर भी मिलते रहे हैं। लेकिन आज तक ना तो भेजने वाले का पता चल पाया है और ना ही इसके पीछे की कहानी साफ हो पाई।
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“पकड़े जाने से बचने को किया खेल……..

हरिद्वार: पत्र में कंपयूटर से टाइप है, लेकिन हस्ताक्षर की जगह आड़ा-तिरछा पेन चलाया गया है। भाषा शैली अजीब होने के साथ ही तमाम गलतियां हैं। ऐसा माना जा रहा है कि हैंडराइटिंग पकड़ में आने से बचने के लिए पत्र कंप्यूटर से टाइप कराया गया और जानबूझकर उसमें गलतियां छोड़ी गई हैं। धमकी भी अजीबो गरीब ढंग से दी गई है।

पत्र में लिखा है कि हम मजबूर हैं, लेकिन अधिकारियों और कर्मचारियों को फंसाने के तरीके जानते हैं। प्रशासन के काफी कर्मचारी आज भी जेल के अंदर पड़े हुए हैं। इस पत्र को अधिकारी भी संदिग्ध मान रहे हैं। लेकिन सवाल यह है कि फर्जी पत्र भी भेजा गया है तो, भेजने वाला कौन है और उसका उद्देश्य क्या है।