पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार: रुड़की के बेलड़ा गांव में एक युवक की मौत के बाद ग्रामीण इतने बेकाबू कैसे हो गए कि पुलिस पर ही लाठी-डंडो से हमला करते हुए एक्सीडेंट की घटना में दंगों की तरह ईट-पत्थर बरसा दिए। पुलिसकर्मियों के जख्मी होने पर भी उपद्रवी नहीं रुके। मतलब साफ था कि पर्दे के पीछे कमान किसी और हाथों में थी।
यहां तक कि एसएसपी अजय सिंह के बेलड़ा गांव में पहुंचने तक पथराव होता रहा। लेकिन आमजन की सुरक्षा को लेकर कप्तान की हिदायत पर अमल करते हुए पुलिसकर्मी घायल होने के बावजूद शांति बहाली के प्रयास में जुटे रहे।
हद यह है कि एक कोतवाल के दोनों हाथों में फ्रैक्चर आ गया और दूसरे कोतवाल का सिर फटने के साथ ही कई और पुलिसकर्मी घायल हो गए। इतना सब कुछ होने के बाद भी पुलिसकर्मी ग्रामीणों से शांति की अपील करते रहे।
अब भले ही घटना को लेकर राजनीति का बाजार सजने लगा है, नेताओं के दौरे और आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला भी जारी है। लेकिन बवाल के दौरान पुलिसकर्मी जिस तरह खून से लथपथ नजर आ रहे थे, उससे यदि पुलिस संयम खो बैठती तो शायद पूरे जिले में हालात बिगड़ सकते थे। इतनी जल्द गांव में हालात पटरी पर लौटने भी नामुमकिन थे।
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“सियासी बारूद से हुआ विस्फोट…..
ग्रामीणों का गुस्सा अचानक पुलिस के ऊपर क्यों फूट पड़ा, पड़ताल में इसकी परतें खुलकर सामने आई है। पूरे बवाल का सूत्रधार योगेश कुमार पंचायत चुनाव में जिला पंचायत सदस्य का चुनाव हार चुका था और उसके मन में हार के कसर बाकी थी। ऐसा पता चला है कि आरोपी पक्ष से हार की खुन्नस निकालने के लिए योगेश ने ही ग्रामीणों को भड़काया। इतना ही नहीं बवाल हो जाने के बाद भी वह पैंतरेबाजी से बाज नहीं आया। हालांकि, दोनों ही बार उसे मुंह की खानी पड़ी।
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“पोस्टमार्टम रिपोर्ट से खुला राज……
ग्रामीणों ने पूरा बवाल युवक की हत्या का आरोप लगाते हुए किया। दुर्घटना स्थल पर नजर आ रहे परिस्थिति जनक तथ्यों से स्पष्ट नजर आ रहा था कि युवक की मौत हादसे में हुई है। लेकिन दूसरे के रिमोर्ट से कंट्रोल हो रहे ग्रामीण यह मानने को तैयार ही नहीं थे। जबकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट से स्थिति पूरी तरह स्पष्ट हो गई और आखिरकार यह सामने आया कि युवक की मौत टक्कर लगने के कारण ही हुई थी।
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“आदर्श टीम लीडर साबित हुए कप्तान…….
इस पूरे बवाल का एक अनछुआ पहलू यह भी है कि रात 12 बजे गांव में शांति व्यवस्था कायम होने के बाद एसएसपी अजय सिंह ने पहले अपने घायल जवानों का हालचाल जाना और फिर उसके बाद अपना एक्सरे कराया। घंटो तक दर्द को सहन करते हुए एसएसपी अजय सिंह एक आदर्श टीम लीडर की तरह अगले मोर्चे पर डटे रहे। इस अनकही हकीकत से शायद ही कोई वाकिफ हो। पुलिस ने राजनीति और जातिगत समीकरण से ऊपर उठकर अपना फर्ज निभाया है।