
पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार, बेलड़ा बवाल की चिंगारी शांत पड़ती नहीं दिखाई दे रही है। बेलडा प्रकरण में नए-नए मुकदमे दर्ज हो रहे हैं। ताजा मुकदमे में तो पुलिस को भी डकैती का आरोपी बना दिया गया है। जिससे यह विवाद शांत होने के बजाय अंदरूनी तौर पर तनाव का रूप ले रहा है।

पर इस बवाल के पीछे की असली वजह पर कोई गौर करने को तैयार ही नहीं है। पुलिस ने अगर समझदारी का परिचय देकर ग्रामीणों की मांग पर हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया होता, तो इतना बड़ा तमाशा न होता, भले ही जांच के दौरान तथ्यों के आधार पर धाराएं घटाई और बढ़ा दी जाती।

हालांकि इस पूरे प्रकरण को ग्रामीण बनाम ग्रामीण बनाकर पेश किया जा रहा है। लेकिन ही अभी हकीकत है कि आला अधिकारी अब समझ नहीं पा रहे हैं कि इस पेचीदा मामले को हल कैसे करें।

रुड़की के बेलड़ा में युवक की मौत होने के बाद परिजन उसे संदिग्ध करार दे रहे थे। उनकी मांग इतनी थी कि युवक पंकज की हत्या की गई है, लिहाजा हत्या का मुकदमा दर्ज किया जाए। पर, रुड़की पुलिस दुर्घटना करार देकर हत्या का मुकदमा दर्ज करने की बात पर अड़ी रही।

उसका परिणाम यह हुआ कि अंदरखाने ग्रामीणों में आक्रोश पनपनता गया। रुड़की पुलिस यदि हत्या का मुकदमा दर्ज कर भी लेती तब पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद उन धाराओं को तुरंत ही हटाया जा सकता था। विवेचना तो पुलिस ने ही करनी है, किसी दूसरे विभाग ने तो करनी नहीं थी।

अब भी पोस्टमार्टम रिपोर्ट ही दुर्घटना में युवक की मौत होने का मूल आधार है। अगर ग्रामीणों को कोई भड़का भी रहा था तो रुड़की पुलिस उन्हें समझाने में आखिरकार नाकामयाब ही रही। यदि रुड़की पुलिस पोस्टमार्टम में हत्या की बात सामने आने पर मुकदमा दर्ज करने की बात कहकर ग्रामीणों को मना लेती, तब संभवत इतना बवाल न होता।

कुल मिलाकर रुड़की पुलिस की नामसमझी से एक बड़ा बवाल आ खड़ा हुआ, जिसमें खुद पुलिस के हाथ भी झुलस गए। अब ग्रामीण भी इस बवाल का दंश कई साल भुगतने, यह भी तय है। गांव में दहशत पसरी है। ग्रामीण डरे सहमे है। कब पुलिस उन्हें गिरफ्तार कर ले। हालांकि एसएसपी अजय सिंह ने भरोसा दिलाया है कि साक्ष्य के आधार पर ही कार्रवाई की जाएगी। किसी भी निर्दोष या बेगुनाह पर बिना साक्ष्य के कार्रवाई नहीं होगी।
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