पंच👊नामा
पिरान कलियर: “कलियर” को पिरान-ए-कलियर का लक़ब इसलिए हासिल हुआ कि यहां चारों ओर (पीरो) सूफियों के मज़ारात है, यही वजह है कि आए दिन पिरान कलियर में सूफ़ियों के उर्स-ए-मुबारक का सिलसिला जारी रहता है। हाल ही में दरगाह साबिर पाक के निवर्तमान नायब सज्जादानशीन शाह मंजर एजाज़ कुद्दुसी साबरी उर्फ शिम्मी मियां का 8 वां सालाना उर्स मनाया जा रहा है। उर्स से दूर-दराज से अकीदतमंद पिरान कलियर पहुँचे है और दरबार-ए-साबरी में खिराजे अक़ीदत पेश कर शिम्मी मियां के उर्स में शिरकत कर रहे है। उर्स में चादरपोशी, खतमशरीफ़, लंगर और महफ़िल-ए-समा का आयोजन किया गया, देर रात दुआएं खैर के साथ उर्स विधिवत रूप से संपन्न हो जाएगा।गौरतलब है कि दरगाह साबिर पाक के पूर्व नायब सज्जादानशीन शाह मंजर एजाज साबरी उर्फ शिम्मी मियां का वर्ष 2015 में पाकिस्तान के पाक पट्टन शहर स्थित हजरत बाबा फरीद गंजे शक्कर रह. के उर्स में इंतेक़ाल (देहांत) हो गया था। जिसके बाद उन्हें पिरान कलियर लाया गया और दरगाह अब्दाल साहब परिसर में सुपुर्द-ए-खाक किया गया। शिम्मी मियां से मुहब्बत रखने वाले लोग तभी से उनका सालाना उर्स मनाते है। साबिर पाक के सज्जादानशीन शाह अली एजाज़ कुद्दुसी साबरी की सरपरस्ती में उर्स की रसुमात को अंजाम दिया जाता है। आज बुधबार को शाह मंजर एजाज साबरी उर्फ शिम्मी मियां के 8 वे सालाना उर्स का मुख्य दिन है जिसमे शिम्मी मियां के बड़े साहबजादे व दरगाह साबिर पाक के सज्जादानशीन शाह अली एजाज़ साबरी की सरपरस्ती में तमाम रसुमात को अंजाम दिया गया। उनके कदीमी घर से चादर पहले दरबार-ए-साबिर में पहुँची, जहा साबिर पाक में खिराज-ए- अक़ीदत पेश हुई, इसके साथ ही दरगाह परिसर में सज्जादानशीन शाह मंसूर मियां के मजार पर भी चादर पेश की गई। बाद उसके जुलूस के रूप में शिम्मी मियां की दरगाह पर चादर पेश की गई और अक़ीदत के फूल चढ़ाए गए। इस दौरान साहबजादा/सज्जादानशीन अली शाह मियां ने मुल्क में अमनो सलामती की दुआं कराई। कुल शरीफ, लंगर, और महफ़िल-ए-शमा का आयोजन हुआ। शिम्मी मियां के उर्स में पंजाब, सूरत, चंडीगढ़, बरेली, रामपुर, मुरादाबाद आदि जगहों से अकीदतमंदों ने शिरकत की इनके अलावा साहबजादा शाह यावर अली एज़ाज़ साबरी,सज्जादानशीन प्रतिनिधि शाह सुहैल मियां, दरगाह रदौली शरीफ के नायब सज्जादानशीन शाह आफाक अहमद अहमदी, मखदूम कुद्दुसी नायब सज्जादानशीन गंगोह शरीफ़, राजू फरीदी, असद साबरी, हैदर लतीफी, शफ़ीक़ साबरी, मुनव्वर अली साबरी, राज़ी मियां, सलीम प्रधान, अज़ीम सिद्दीक़ी, सूफी इसरार साबरी, शान साबरी, खालिद साबरी, बाबा मिस्सी शाह, बाबा हरदीप साबरी, सय्यद बशीरुद्दीन केरेला वाले, डॉ उमर मिसकीनी बाबा, रमज़ान बाबा, काला तकखर, बिन्नी पहलवान, डैनी साबरी, अशरफ मासूम, तौहीद साबरी, फ़ारूक़ पेंटर, सूफी वसीम, मेराज साबरी, इमरान, विक्की, शोमी, फ़िरोज़ साबरी, निज़ाम इंदौरी सहित सैंकड़ों अकीदतमंद मौजूद रहे।