पंच👊नामा-ब्यूरो
दिनेश वर्मा एडवोकेट, हरिद्वार: साल 2012 में पथरी क्षेत्र के फेरुपुर गांव में आरटीआई कार्यकर्ता व सेवानिवृत्त शिक्षक की हत्या करने के मामले में पंचम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश मुकेश चंद आर्य ने भाजपा नेता व पूर्व प्रधान सहित तीन हत्यारों को आजीवन कारावास व 21-21 हजार रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई है। मुकदमे की सुनवाई के दौरान आरोपी सोमलाल की मृत्यु के बाद उसके खिलाफ कार्यवाही समाप्त कर दी गई थी।
शासकीय अधिवक्ता अनुज कुमार सैनी ने बताया कि पथरी क्षेत्र में 14 फरवरी 2012 की रात आठ बजे आरटीआई कार्यकर्ता व रिटायर्ड आईटीआई शिक्षक जगदीश प्रसाद चौहान की घर के पास ही खेत में निर्मम तरीके से हत्या कर दी गई थी। उसी समय चीख पुकार सुनकर उनके पुत्र गुणबहादुर व गौरवदीप टॉर्च लेकर मौके पर पहुंचे। तो देखा कि चार हत्यारोपी उसके पिता के हाथ पैर पकड़कर सिर पर पत्थर से हमला कर रहे थे। दोनों भाई को देखकर चारों हमलावर वहां से उन्हें जान से मारने की धमकी देकर चले गए थे। शोर सुनकर वहां पर आसपड़ोस के लोग पहुंच गए थे। मौके पर ही आरटीआई कार्यकर्ता की मौत हो गई थी।
इसके बाद गुण बहादुर ने देर रात हत्यारोपी बबलू पुत्र सतपाल, धर्मजीत पुत्र बुद्ध सिंह व सोमलाल पुत्र मनसुख निवासी गण ग्राम फेरुपुर रामखेड़ा थाना पथरी और दिलीप राणा पुत्र जगदीश निवासी ग्राम धनपुरा थाना पथरी के खिलाफ एक राय होकर हत्या व जान से मारने की धमकी देने का केस दर्ज कराया था।
शिकायतकर्ता ने पुलिस को बताया था कि जब वह मौके पर पहुंचे, तो हत्यारोपी बबलू पत्थर से पिताजी के सिर पर वार कर रहा है।जबकि दिलीप राणा ने हाथ व धर्मजीत और सोमलाल ने पैर पकड़ रखें थे। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि उसके पिता ने सभी आरोपियों के संबंध में आरटीआई से सूचना मांगी हुई थी।
जिसपर सभी आरोपियों ने मिलकर उसके पिता की हत्या कर दी। वादी पक्ष ने 16 गवाह तथा बचाव पक्ष ने तीन गवाह पेश किए। चौथे आरोपी सोमलाल की मृत्यु मामले में चौथे हत्यारोपी सोमलाल की केस विचारण के दौरान मृत्यु हो गई थी। जिसके बाद कोर्ट ने उसके खिलाफ जारी न्यायिक कार्यवाही नौ सिंतबर 2022 को समाप्त कर दी गई थी।
पोस्टमार्टम में मृतक के गले में घोंटने, सिर व मुँह पर गंभीर चोटें आई थी।सिर व दोनों जबड़े की हड्डीयां टूटी हुई थी। न्यायालय ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद तीनों आरोपियों बबलू धर्मजीत एवं दिलीप राणा को दोषी पाते हुए धारा 302/34 आईपीसी में आजीवन कारावास व 20-20 हजार रुपये,धारा 506 आईपीसी में दो वर्ष के कठोर कारावास व एक-एक हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है।