पंच 👊 नामा….✍🏻…
(पिरान कलियर- उर्स स्पेशल-3)
सूफीईज्म का बड़ा मरकज़ दरगाह हज़रत अलाउद्दीन अली अहमद साबिर पाक का 753 वा सालाना उर्स रविउल-अव्वल का चांद दिखाई देने पर मेंहदी डोरी की रस्म के साथ विधिवत रूप से शुरू हो चुका है। चांद दिखाई देने के बाद मेंहदी डोरी की तैयारियां भी शुरू हो चुकी है। बाद नमाजे ईशा मेंहदी डोरी सज्जादानशीन के क़दीमी घर पिरान कलियर से शुरू होकर देर रात दरबार शरीफ पहुँचेगी, जिसके बाद आस्ताने साबिर पाक में मेंहदी डोरी, संदल पेश किया जाएगा।
आस्था की नगरी पिरान कलियर में विश्व प्रसिद्ध दरगाह हजरत मखदूम अलाउद्दीन अली अहमद साबिर पाक का वार्षिक उर्स शुरू हो चुका है। आज रविउल-अव्वल का चांद दिखाई देने के बाद मेंहदी डोरी की रस्म देर रात तक अदा की जाएगी। मेंहदी डोरी सज्जादानशीन के क़दीमी घर पिरान कलियर से शुरू होगी और जुलूस के रूप में अकीदतमंद सज्जादानशीन की अगुवाई में मेंहदी डोरी को लेकर दरबार शरीफ में पहुँचेगे, इसके बाद सज्जादानशीन शाह अली एजाज साबरी की सरपरस्ती व अन्य सज़्ज़ादगान कि मौजूदगी में इस रस्म को अदा किया जाएगा।
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क्या है मेंहदी डोरी की रस्म…
साबिर पाक का उर्स मेंहदी डोरी की रस्म के साथ शुरू होता है, मेंहदी डोरी की रस्म सज्जादानशीन और अन्य सज़्ज़ादगान मिलकर अदा करते है, इस रस्म में मेंहदी, कलावा, और संदल की थाल सर पे लेकर जुलूस के रूप में दरबार शरीफ में आया जाता है, जिसके बाद इस मेंहदी डोरी सनदल को प्रसाद के रूप में अकीदतमंदों में तकसीम किया जाता है।
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किसने शुरू की मेंहदी डोरी की रस्म…
जानकर बताते है कि दरगाह साबिर पाक के तत्कालीन सज्जादानशीन शाह अब्दुल रहीम के जमाने से मेंहदी डोरी की रस्म को अदा किया जाता है, शाह अब्दुल रहीम ने ही उर्स के आगाज पर मेंहदी डोरी की रस्म को शुरू किया था जो बरसो से बदस्तूर आज भी जारी है।
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मेंहदी डोरी में दूर दराज से पहुँचते है अकीदतमंद…
साबिर पाक के चाहने वाले उर्स की प्रथम रस्म मेंहदी डोरी में शामिल होने के लिए दूर दराज से पिरान कलियर पहुँचते है और रस्म में शिरकत कर फैजियाब होते है। अकीदतमंद मेंहदी डोरी का प्रसाद पाने के लिए भी बैचेन रहते है।