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नए “छोटे साहब” ज्ञान पेलने में मास्टर, व्यवहारिक पुलिसिंग का न तजुर्बा, न सीखने को तैयार, आते ही झूम उठे दूर-दूर के रिश्तेदार..

किताबी बातों से मातहतों के दिमाग़ की बत्ती कर डाली गुल, पब्लिक डीलिंग ज़ीरो, फिर भी कॉन्फिडेंस फुल, चुनाव में भगवान ही लगाएंगे नैय्या पार..

पंच👊नामा-ब्यूरो
सुल्तान, हरिद्वार: कुछ महीने पहले जिले में आमद करने वाले एक छोटे साहब ज्ञान पेलने में मास्टर हैं।

काल्पनिक फोटो

दूसरे शब्दों में कहें तो साहब बहादुर ट्रेनिंग में मिले किताबी ज्ञान के समुंदर में अभी तक गोते लगा रहे हैं, इसी समुंदर में वे भरी सर्दी के बीच अधीनस्थों को भी धकेले पड़े हैं।

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व्यवहारिक ज्ञान का न तजुर्बा उनकी कार्यशैली में दिखाई पड़ता है और न सीखने को तैयार हैं। कम समय में पूरी तरह पक चुके अधीनस्थ लाचार हैं।

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लेकिन इस अजीबों-गरीब परिस्थिति में अगर कोई खुश है तो पहले नम्बर पर साहब बहादुर खुद हैं और दूसरे नम्बर पर उनके दूर के रिश्तेदार हैं। जो साहब की पोस्टिंग के बाद से ही गुनगुना रहे हैं कि “सजा दो गली-मोहल्लों को, हमारे रिश्तेदार आये हैं…!!

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“पंच👊नामा… के ख़ास खबरी “लल्लन पुरोहित” का तो यहां तक कहना है कि साहब बहादुर चटकबाजी में अपने से बड़े वाले को कुछ दिन में ही पीछे छोड़ देंगे। वो दिन दूर नहीं, जब साहब के चर्चे लोगों की ज़ुबान पर होंगे।

फाइल फोटो

जल्द ही चुनावी बिगुल बजने वाला है, निष्पक्षता और पारदर्शिता सर्वोपरि है, इसलिए हम कोई मज़ाक नहीं, बल्कि संवेदनशीलता की बात करेंगे। माना कि लंबे समय तक छोटे साहब फील्ड पुलिसिंग से कोई वास्ता-मतलब नहीं रहा।

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लेकिन जब हरिद्वार जैसे चमकदार जिले में पधार ही चुके हैं तो व्यवहारिक पुलिसिंग को अपने अंदर उतारें। अधीनस्थों पर बेवजह का रौब गालिब करने और जानकारी के अभाव में कुतर्क करने से छोटे मामले बड़ा रूप लेने में देर नहीं लगती।

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उच्च अधिकारियों के दिशा-निर्देशन के अलावा अधीनस्थ अगर ज़्यादा तजुर्बेकार हैं तो उनसे भी कोई बात सीखने में बुराई नहीं है। केवल किताबी ज्ञान से पुलिसिंग नहीं होती है।

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