उत्तराखंड

हल्द्वानी बवाल में अब तक छह की मौत, एसडीएम-एसपी समेत 250 से अधिक घायल, पूरे इलाके में कर्फ्यू..

अतिक्रमण हटाने के दौरान मदरसा तोड़ने पर हुआ था बवाल, 1937 की लीज पर बसी आबादी, हाईकोर्ट का फौरी राहत देने से इनकार..

उत्तराखंड-ब्यूरो
उत्तराखंड: अतिक्रमण हटाने के दौरान मदरसा तोड़ने पर हुए बवाल में देर रात तक 6 लोगों की मौत हो गई। जबकि एसडीम व एसपी समेत 250 से अधिक लोग घायल हैं। स्थिति नियंत्रण में करने के लिए पूरे इलाके में कर्फ्यू लगाया गया है।

फाइल फोटो

स्कूल और बाजार पूरी तरह से बंद हैं। इंटरनेट सेवाओं पर भी रोक लगा दी गई है। इस बीच स्थानीय लोगों ने कार्रवाई के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और बताया कि उनके पास 1937 की रिलीज चली आ रही है। लेकिन फिलहाल हाईकोर्ट में फौरी राहत देने से इनकार कर दिया।

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अगली सुनवाई के लिए 14 फरवरी की तारीख तय की गई है। हल्द्वानी में तनाव बना हुआ है। जिसके मद्देनजर बगल के उधमसिंह नगर और प्रदेश के सबसे बड़े मुस्लिम आबादी वाले हरिद्वार जैसे जिलों में भी अलर्ट जारी किया गया है।

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रात भर पुलिस टीमें गश्त करती रही। आज जुमे की नमाज को देखते हुए भी चौकसी बढ़ती जा रही है।
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तनावपूर्ण स्थिति को देखते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की ओर से निर्देश मिलने के बाद डीएम वंदना ने रात में ही कर्फ्यू लगाते हुए उपद्रवियों को देखते ही गोली मारने के आदेश भी जारी कर दिए। रात में इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है।

वायरल वीडियो का स्क्रीन शॉट…

चार कंपनी पीएसी समेत जिले भर के थाने व चौकियों का स्टाफ बनभूलपुरा पहुंच गया। उपद्रवी चिन्हित किए जा रहे हैं।
दरअसल, मुस्लिम बहुल क्षेत्र में बनभूलपुरा के मलिक का बगीचा में पिछले दिनों नगर निगम और प्रशासन की टीम अतिक्रमण के विरुद्ध कार्रवाई करने के लिए पहुंची थी।

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टीम को यहां अवैध मदरसा और नमाज स्थल भी मिला। गुरुवार दोपहर सवा चार बजे करीब पुलिस, प्रशासन और नगर निगम की टीम बुलडोजर लेकर अतिक्रमण तोड़ने पहुंची।

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प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों के अलावा पुलिस व निगम कर्मचारी मिलाकर करीब 700 लोगों की फोर्स थी, लेकिन जैसे ही बुलडोजर और टीम आगे बढ़े।

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चारों तरफ से पथराव शुरू हो गया। देखते ही देखते हजारों की भीड़ जुट गई। एसडीएम कालाढूंगी रेखा कोहली, एसपी हरबंस सिंह, एसओ प्रमोद पाठक समेत पुलिस, निगमकर्मी संग पत्रकारों को पत्थर लगे।

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भारी संख्या में उपद्रवी बनभूलपुरा थाने पहुंच गए और एक दर्जन से अधिक वाहनों को भी आग के हवाले कर दिया।
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होमवर्क की कमी या बड़ी साजिश…..

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हल्द्वानी बवाल के पीछे शुरुआती तौर पर दो बड़ी वजह सामने आ रही है। पहले पुलिस प्रशासन के होमवर्क की कमी और दूसरी किसी बड़ी साजिश की आशंका से भी इनकार नहीं किया जा सकता है। दरअसल, किसी भी स्थायी अतिक्रमण और खास तौर पर किसी धार्मिक संरचना को हटाने से पहले बाकायदा होमवर्क किया जाता है।

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मामला यदि धर्मस्थल से जुदा हो तो यह और ज्यादा संवेदनशील हो जाता है। इसलिए संबंधित पक्ष को विश्वास में लेना भी बेहद जरूरी हो जाता है, लेकिन यहां प्रशासन ने ऐसा कुछ नहीं किया। यह अपने आप में सवाल यह निशान है। इसी से जुड़ा दूसरा सवाल यह है कि क्या किसी खास उद्देश्य के लिए बवाल कराया गया है..?

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इसके पीछे किसी गहरी साजिश की आशंका भी जताई जा रही है। पुलिस प्रशासन 600 की संख्या में इकट्ठे होकर अतिक्रमण हटाने तो पहुंच गया, लेकिन संवेदनशीलता देखते हुए कार्रवाई से पहले की प्रक्रिया पूरी नहीं की गई।

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दूसरी बात यह है कि कार्रवाई के दौरान अचानक से इतना बड़ा बवाल करने के लिए लोगों को किसने उकसाया। क्या उन्हें किसी ने हथियार बनाकर बवाल कराया है, यह भी जांच का विषय है।
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हाईकोर्ट का ध्वस्तीकरण पर रोक लगाने से इनकार…………

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हाईकोर्ट ने गुरुवार की रात हल्द्वानी में बनभूलपुरा क्षेत्र के मलिक का बगीचा व अच्छन खान के बगीचे में अतिक्रमण ध्वस्तीकरण पर रोक लगाने को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई की। अवकाशकालीन न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की एकलपीठ ने याचिकाकर्ता साफिया मलिक व अन्य को किसी तरह की राहत नहीं देते हुए अगली सुनवाई की तिथि 14 फरवरी तय कर दी है।

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सरकार की ओर से महाधिवक्ता व अन्य सरकारी अधिवक्ता पेश हुए। उन्होंने कोर्ट को बताया कि यह भूमि बिना कमिश्नर की अनुमति के कई बार हस्तांतरित की गई है, जबकि यासीन मलिक को यह भूमि कृषि उपयोग के लिए दी गई थी। शर्त थी कि इसमें बिल्डिंग नहीं बनाई जाएगी।

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यह भूमि ट्रांसफर नहीं हो सकती, लेकिन फिर भी बिक्री कर दी गई, जो नियम विरुद्ध है। याचिकाकर्ता का कहना था कि उनके पास 1937 की लीज है, जो मलिक परिवार से मिली है। सरकार इसमें कब्जा नहीं ले सकती।

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