पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार: यह कैसे संभव है कि कोई प्रत्याशी 2 साल पहले ही चुनाव मैदान में ताल ठोके, हजारों की संख्या में होर्डिंग बैनर लगाकर प्रचार-प्रसार पर लाखों रुपए फूंके, जनता को यह विश्वास दिलाया कि सारी पार्टियां भ्रष्ट और उत्तराखंड विरोधी हैं, और फिर चार दिन के भीतर पहले एक पार्टी से टिकट ले और अगले ही दिन दूसरी पार्टी के पाले में जाकर खड़ा हो जाए।
यहां बात हरिद्वार लोकसभा सीट पर सबसे पहले चुनाव मैदान में कूदने वाली जनता कैबिनेट पार्टी के नेता भावना पांडे की हो रही है। खुद को उत्तराखंड की बेटी कहलाने वाली भावना पांडे ने प्रचार-प्रसार के लिए मीडिया मैनेजमेंट तक का पूरा इंतजाम किया।
जिले में छोटे बड़े कार्यक्रम करते हुए भीड़ जुटाना और चर्चा हासिल की। इतना ही नहीं कभी खानपुर के पूर्व विधायक कुंवर प्रणव सिंह से लोहा लिया तो कभी निर्दलीय विधायक उमेश कुमार से टक्कर ली। इस लड़ाई में भावना पांडे के खिलाफ कई मुकदमे भी दर्ज हुए।
लेकिन मौजूदा परिस्थितियों में सवाल यह उठ रहा है कि इस उठापटक के पीछे भावना पांडे का मकसद क्या था। कोई इंसान केवल नाम के लिए प्रचार-प्रसार में इतना जोर कैसे लगाएगा।
भावना पांडे के अचानक पिक्चर से गायब होने और भाजपा प्रत्याशी त्रिवेंद्र रावत को समर्थन करने से आम लोग समझ ही नहीं पा रहे हैं कि भावना पांडे 2 साल से उनकी फिरकी क्यों ले रही थी।
कुछ लोग तो दबी जुबान में यहां तक कह रहे हैं कि पूरा मैच पहले से फिक्स था और पिक्चर में भावना पांडे का केवल इतना ही रोल था।
चर्चाएं इस बात पर भी हो रही है कि लाखों रुपए और अपना 2 साल का वक़्त गंवाने के बदले में भावना पांडे को आखिर क्या मिला और भविष्य में क्या मिलने की उम्मीद है।