भीड़ का अंदाजा नहीं लगा सका पुलिस-प्रशासन, सारी व्यवस्थाएं ध्वस्त, कांवड़ मेले का भगवान ही मालिक..
पिछले 24 घंटे से भीड़ से हांफ रहा हाईवे, काम नहीं आया डायवर्जन का कई साल पुराना प्लान, यात्रियों के साथ-साथ लोकल भी बेहाल..
पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार: गंगा दशहरा पर पुलिस प्रशासन हरिद्वार पहुंचने वाली भीड़ का अंदाजा नहीं लग पाया। यही वजह है कि भीड़ प्रबंधन और यातायात व्यवस्था सुचारू रखने के लिए किए गए सारे इंतजाम ध्वस्त हो गए। हालात यह है कि 24 घंटे बाद भी दिल्ली-हरिद्वार हाईवे पर वाहनों का दबाव कम नहीं हुआ। बल्कि स्थिति और बद से बदतर बनी हुई है। दरअसल, कई साल से चला रहा एक जैसा प्लान इस स्नान पर्व पर काम नहीं आया।
गंगा दशहरा पर धर्मनगरी के जो हालात हाईवे से लेकर अंदर तक नजर आए, उससे यह लगने लगा है कि अगले महीने शुरू होने जा रहे कावड़ मेले का भगवान ही मालिक है।
पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक हर की पैड़ी की सांध्यकालीन आरती तक 15 लाख से अधिक श्रद्धालु स्नान पर्व पर पहुंचे हैं। मगर आरती के बाद देर रात तक भी श्रद्धालुओं के हरिद्वार पहुंचने का सिलसिला जारी है।
चार धाम यात्रा सीजन के दौरान हर शनिवार और रविवार को हरिद्वार में लाखों की संख्या में पर्यटक और श्रद्धालु पहुंचते हैं। संयोग से इस बार गंगा दशहरा रविवार के दिन ही पड़ गया। जिससे अधिकारियों को समझ लेना चाहिए था कि गंगा दशहरा पर यातायात का नया प्लान जरूरी है।
लेकिन इसे या तो किसी आम स्नान पर्व की तरह ही समझ लिया गया। ये चूक न सिर्फ श्रद्धालु और यात्रियों पर भारी पड़ी बल्कि स्थानीय निवासियों ने भी इसका खामियाजा उठाया।
नतीजतन हाईवे पर हालत पिछले 24 घंटे में और ज्यादा खराब होने की स्थिति में है। मंगलौर रुड़की से लेकर पूरे हरिद्वार में हाईवे पर गाड़ियां ही गाड़ियां नजर आ रही हैं।
दिन में भीषण गर्मी और धूप के बीच लाखों वाहनों से निकलने वाले धुएं और गर्मी ने खुद यात्रियों और श्रद्धालुओं को ही बहाल किया, बल्कि पुलिस को भी पसीना आ गया।
फिलहाल रात 9:00 बजे के हालात यह है कि उत्तरी हरिद्वार से लेकर रुड़की तक जगह-जगह हजारों वाहन जाम में फंसे हुए हैं। हरिद्वार से जाने वाले वाहनों की संख्या कम है, जबकि आने वालों का रेला खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है।
हर की पैड़ी समेत आसपास के इलाकों में भगदड़ और दम घुटने जैसे हालात बने हुए हैं। भीड़ की यह स्थिति होटल धर्मशाला संचालकों और व्यापारियों के लिए भले ही खुशी देने वाली हो सकती है।
लेकिन यात्री-श्रद्धालुओं और हरिद्वार के स्थानीय निवासियों को यह डर सताने लगा है कि अगले महीने शुरू होने जा रहे कावड़ मेले में यातायात की स्थिति कितनी भयावह हो सकती है।