सत्य और धर्म की जीत का प्रतीक है दशहरा: श्रीमहंत रविंद्र पुरी..
दशहरा पर अखाड़े में संतों ने किया शस्त्र पूजन, अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्र पुरी महाराज ने देशवासियों को दी शुभकामनाएं..
पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार: दशहरा का पर्व बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। इस अवसर पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद और श्री मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्री महंत रविंद्र पुरी महाराज ने देश और प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं दीं।
इसके साथ ही हरिद्वार में स्थित पंचायती अखाड़ा श्री निरंजन ने दशहरा पर्व के अवसर पर भव्य शस्त्र पूजा का आयोजन किया गया। संतो ने बताया यह पर्व सनातन परंपराओं के अनुसार शक्ति और धर्म की विजय का प्रतीक है, जो विशेष रूप से साधु-संतों के अखाड़ों में महत्वपूर्ण है।
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श्री महंत रविंद्र पुरी महाराज ने दशहरा पर्व के अवसर पर कहा, कि “दशहरा हमें सत्य, धर्म और न्याय के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। ”उन्होंने कहा, “दशहरा हमें यह सिखाता है कि चाहे बुराई कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो, अंततः सत्य और धर्म की ही जीत होती है। भगवान राम ने रावण जैसे अहंकारी और अधर्मी राजा का वध कर यह सिद्ध किया कि अधर्म और अन्याय का अंत निश्चित है। “श्री महंत रविंद्र पुरी महाराज ने समाज से आग्रह किया कि इस पावन पर्व पर हम सभी को अपने जीवन में सत्य और धर्म का पालन करने का संकल्प लेना चाहिए। उन्होंने बताया कि दशहरा का पर्व न केवल रावण के वध की याद दिलाता है, बल्कि यह भी सिखाता है कि हमें अपने भीतर के रावण जैसे क्रोध, लोभ, अहंकार और लालच का भी नाश करना चाहिए।
उन्होंने कहा, “हमारे समाज में व्याप्त बुराइयों को समाप्त करने के लिए हमें एकजुट होकर कार्य करना होगा।” इस संदर्भ में, उन्होंने प्रदेशवासियों से अपील की कि वे इस पर्व को आपसी प्रेम, सौहार्द्र और भाईचारे के साथ मनाएं और समाज में एकता और शांति का वातावरण बनाए रखें। इसके साथ ही श्री महंत रविंद्र पुरी महाराज ने सभी से अपील की कि वे पर्यावरण के प्रति जागरूक रहें और पर्व को स्वच्छ एवं सुरक्षित तरीके से मनाएं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हमें अपने आसपास की प्राकृतिक स्थिति का ध्यान रखना चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सुरक्षित और स्वस्थ वातावरण सुनिश्चित किया जा सके।
————————————–वही दूसरी ओर हरिद्वार में स्थित पंचायती अखाड़ा श्री निरंजन ने दशहरा पर्व के अवसर पर भव्य शस्त्र पूजा का आयोजन किया गया। अखाड़ा के संतों ने बताया यह पर्व सनातन परंपराओं के अनुसार शक्ति और धर्म की विजय का प्रतीक है, जो विशेष रूप से साधु-संतों के अखाड़ों में महत्वपूर्ण है। इस अवसर पर, अखाड़े के साधु-संतों ने शस्त्रों की विधिवत पूजा-अर्चना की। शस्त्र पूजा के दौरान परंपरागत अनुष्ठानों का पालन किया गया, जिसमें शस्त्रों को फूलों, रोली और अक्षत से सजाया गया। मंत्रोच्चारण और विशेष प्रार्थनाओं के साथ शस्त्रों की पूजा की गई। पूजा के बाद साधुओं ने एक-दूसरे को विजयदशमी की शुभकामनाएं दीं।श्री मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के ट्रस्टी दिगंबर राज गिरि ने इस अवसर पर उपस्थित साधु-संतों और श्रद्धालुओं को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि दशहरा पर्व बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है और रावण पर भगवान राम की विजय ने हमें यह सिखाया है कि धर्म और सत्य की हमेशा जीत होती है। दिगंबर राज गिरि ने बताया कि शस्त्र पूजा हमारे लिए आत्मरक्षा और धर्म की रक्षा के प्रति समर्पण का प्रतीक है। उन्होंने साधु-संतों और अखाड़े के सदस्यों से धर्म के मार्ग पर अडिग रहने और समाज में शांति और सद्भाव बनाए रखने का संदेश दिया।
उन्होंने यह भी कहा कि अखाड़ों की परंपरा में शस्त्रों का विशेष महत्व है, क्योंकि ये शस्त्र धर्म की रक्षा के लिए हैं, न कि हिंसा के लिए। इस अवसर पर अखाड़े के सभी संतों ने धर्म, अध्यात्म और साधना के महत्व पर चर्चा की और समाज में धार्मिक मूल्यों को बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया। इस अवसर पर श्री मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के ट्रस्टी दिगंबर राज गिरी, दिगंबर उमेश भारती, दिगंबर राकेश गिरी, दिगंबर राम सेवक, दिगंबर राकेश गिरी, मुख्या आशुतोष पूरी, महंत रवि पूरी, दिगंबर राज पूरी, दिगंबर सैलेश बन आदि संत मौजूद रहे।