उत्तरकाशी मस्जिद विवाद पर हाईकोर्ट सख्त, डीजीपी से मांगी रिपोर्ट, प्रशासन को सुरक्षा व कार्रवाई के आदेश..
पिछले दिनों हिंदूवादी संगठनों ने मस्जिद ढ़हाने की मांग को लेकर किया था बवाल, कई पुलिसकर्मी हुए थे घायल, अब हाईकोर्ट पहुंचा विवाद..
पंच👊नामा-ब्यूरो
देहरादून: उत्तरकाशी में मस्जिद विवाद पर उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए डीजीपी से स्थिति स्पष्ट करने के आदेश देते हुए रिपोर्ट मांगी है। जिला प्रशासन को धार्मिक स्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और नफरत फैलाने वाली गतिविधियों पर सख्ती से रोक लगाने के आदेश भी दिए हैं।
कोर्ट ने साफ कहा कि हम कोई धर्मतंत्र नहीं हैं और कानून के शासन से चलने वाला देश हैं और नफरत फैलाने वाली बातें और विध्वंस की धमकी किसी को नहीं देनी चाहिए। शुक्रवार को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ में अल्पसंख्यक सेवा समिति की याचिका पर सुनवाई करते हुए ये आदेश दिए।
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उत्तरकाशी में स्थित बाड़ाहाट मस्जिद को पिछले कुछ दिनों से हिंदू संगठन अवैध बताते हुए ढहाने की मांग कर रहे हैं। वहीं प्रशासन ने इसे वैध घोषित किया है। प्रशासन का कहना है कि यह मस्जिद देश की आजादी से पहले की बनी हुई है। पिछले दिनों हिंदूवादी संगठनों के आह्वान पर उत्तरकाशी में ड्यूटी भीड़ में जमकर बवाल भी किया था।
कई पुलिसकर्मी भी इस बवाल में घायल हुए थे। हाल ही में शासन ने पुलिस और प्रशासन के दो अधिकारियों का तबादला भी किया था। इसके अलावा मस्जिद की नई सिरे से जांच के आदेश भी दिए गए। अब यह मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है।
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मामले को लेकर याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट में कहा कि जामा मस्जिद भटवाड़ी रोड, उत्तरकाशी का निर्माण वर्ष 1969 में एक निजी भूमि खरीदकर किया गया था। याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि 1969 में इस्तियाक के पिता यासिम बेग ने भूमि खरीदी थी। जिसके बाद वहां एक मस्जिद का निर्माण किया गया था। दावा किया कि 1987 के यूपी गजट अधिसूचना में इसे वक्फ संपत्ति के रूप में पंजीकृत किया गया है।
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1987 से वक्फ बोर्ड में पंजीकृत……
कोर्ट में बताया गया कि 1986 में सहायक वक्फ आयुक्त, उत्तर प्रदेश ने जांच की और पाया कि खसरा संख्या 2223 पर एक मस्जिद मौजूद थी, जिसका निर्माण मुस्लिम समुदाय के सदस्यों ने दान के पैसे से किया था। वक्फ आयुक्त ने एक रिपोर्ट बनाई, जिसमें यह प्रमाणित किया गया कि मस्जिद मौजूद है और सुन्नी समुदाय के सदस्यों की ओर से इसका उपयोग किया जा रहा है।
1987 में जामा मस्जिद भटवाड़ी रोड, उत्तरकाशी को वक्फ संपत्ति के रूप में पंजीकृत किया गया। सितंबर 2024 से खुद को संयुक्त सनातन धर्म रक्षा संघ और विश्व हिंदू परिषद के सदस्य बताने वाले लोग मस्जिद को ध्वस्त करने की धमकी दे रहे हैं। मस्जिद की वैधता के संबंध में गलत जानकारी फैला रहे हैं। मुस्लिम समुदाय के विरुद्ध अभद्र भाषा बोल रहे हैं।
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याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता ने कोर्ट में दलील दी कि निजी प्रतिवादी ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर मुसलमानों और मस्जिद के विरुद्ध नफरत भरा भाषण दिया है, जो अश्विनी कुमार उपाध्याय बनाम भारत संघ और अन्य के मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का उल्लंघन है।
सर्वोच्च न्यायालय ने निर्देश पारित किया है कि नफरत फैलाने वाले भाषण के किसी भी मामले में, भले ही कोई शिकायतकर्ता न हो, राज्य के अधिकारी नफरत फैलाने वाले भाषण देने वालों के विरुद्ध स्वत: संज्ञान लेते हुए आईपीसी की धारा 153ए, 153बी, 295ए और 505 के तहत मामला दर्ज करेंगे।
खंडपीठ ने राज्य के डीजीपी से स्थिति स्पष्ट करने के निर्देश दिए हैं । साथ ही जिलाधिकारी व एसपी उत्तरकाशी को याचिका में उल्लिखित धार्मिक स्थल के आसपास सख्त कानून व्यवस्था सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है। मामले में अगली सुनवाई 27 नवंबर को होगी।