पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार: चुनाव की सरगर्मियां तेज होते ही शिवालिक नगर पालिका में पिछले 5 साल में हुए करोड़ों की घोटाले के आरोपों का “जिन्न एक बार फिर बोतल से बाहर आ गया है। सोशल मीडिया पर गोलमाल को लेकर चर्चाएं गर्म हो रही है। सवाल इसलिए भी उठ रहा है कि करोड़ों के गोलमाल के अलग-अलग आरोप लगने और फजीहत होने के बावजूद भाजपा ने एक बार फिर राजीव शर्मा को अध्यक्ष पद का प्रत्याशी घोषित किया है। जिससे एक बार फिर पालिका क्षेत्र में भाजपा की अंदरूनी राजनीति गर्म हो गई है। हालांकि अभी बगावत के और खुलकर सामने नहीं आए हैं, लेकिन ये तय है कि इस बार राजीव शर्मा की राह आसान नहीं है।शिवालिक नगर में भाजपा को इस बार पिछले चुनाव से ज्यादा भीतरघात का सामना करना पड़ सकता है। कांग्रेस इसका कितना फायदा उठा पाती है यह बात अलग है, मगर शिवालिक नगर पालिका में इस बार चुनावी मुकाबला पहले से ज्यादा दिलचस्प रहेगा।
————————————-सोशल मीडिया पर वायरल हो रही खबरों के मुताबिक, शिवालिकनगर नगर पालिका में विकास कार्यों की खरीद-फरोख्त में भारी वित्तीय अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए कुछ लोगों ने सरकार से शिकायत की थी। जिसका संज्ञान लेते हुए सरकार ने डीएम को इस संबंध में जांच करने के लिए निर्देशित किया था। जिलाधिकारी ने 1 दिसम्बर 2023 को वित्त्तीय अनियमितता की जांच के लिए कमेटी का गठन किया और सिटी मजिस्ट्रेट को जांच का जिम्मा सौंपा। जांच के संबंध में तत्कालीन सिटी मजिस्ट्रेट रविन्द्र जुवांठा ने 6 दिसम्बर 2023 को अधिशासी अधिकारी नगर पालिका परिषद शिवालिकनगर को पत्र भेजकर वित्तीय लेनदेन से संबंधी मूल पत्रावली व समस्त अभिलेख को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए थे।
बताया जाता है कि इस घोटाले में करीब 4 से 5 करोड़ की अनियमितताएं रही हैं। जांच कमेटी गठित होने के बाद भी इस मामले में कोई कार्यवाही आगे नहीं बढ़ी। चर्चाएं ये भी है कि कई अधिकारियों ने अपना सिर फंसने के चलते चुप्पी साधने में भलाई समझी।
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कुंभ के बिलों में भी गबन का आरोप…..शिवालिक नगर पालिका को लेकर एक चर्चा यह भी है कि वर्ष 2021 के कुंभ मेले में नगर पालिका परिषद के हाउस कीपिंग सफाई के टेंडरो के बिल फर्जी तरीके से पास कराकर करोड़ों रूपये का गबन किया गया है। जिसका खुलासा सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 अधिनियम के अंतर्गत किया गया है। आरटीआई कार्यकर्ता ने शिवालिक नगर पालिका परिषद में हुए करोड़ों के घोटाले के सबूत उपलब्ध कराए। आरोप है कि कुछ आला नेताओं ने भी भ्रष्टाचारियों का साथ देते हुए अधिकारियों व ठेकेदारों की मिली भगत से शासन की आंखों में धूल झोंकते हुए करोड़ों रुपए के बिल पास कराए।