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पीलीभीत स्थित ख़ानक़ाहे चिश्तिया में ख़्वाजा साहब का उर्स शानो-शौकत से मनाया गया..

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पंच👊नामा-ब्यूरो
पीलीभीत: ख़्वाजा-ए-ख़्वाजगां, सुल्तान-उल-हिन्द, हज़रत ख़्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह के 813वें उर्स मुबारक के मौके पर पीलीभीत के मोहल्ला भूरे खां स्थित दरगाह हकीम सूफी सैय्यद मौ. अनवर अली शाह साहब की ख़ानकाह में ईद ए चिश्तिया बड़े शानो-शौकत के साथ मनाया गया। इस मुबारक मौके पर गद्दीनशीन डॉक्टर बिलाल हसन चिश्ती साहब की सरपरस्ती में तमाम अक़ीदतमंदों ने शिरकत की।उर्स की रस्में बड़े अक़ीदत और एहतराम से अदा की गईं। कुल की रस्म से पहले ख़्वाजा साहब की पवित्र टोपी की ज़ियारत कराई गई। यह ऐतिहासिक टोपी हिंदुस्तान के सुल्तान शम्सुद्दीन अल्तमश ने सन 1315 में हज़रत ख़्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती रह. की खिदमत में पेश की थी। इस टोपी पर सोने का बारीक काम ईरान और तुर्की के हुनरमंदों से कराया गया था। यह बहुमूल्य अमानत आज भी पीलीभीत स्थित दरगाह हकीम सूफी सय्यद मो. अनवर अली शाह साहब की ख़ानकाह के तोशाखाने में महफूज़ है। यह पीलीभीत के लिए न केवल एक इज़्ज़त और शान की बात है, बल्कि मुहब्बत और सूफ़ियत के फलसफ़े की एक बेमिसाल मिसाल भी है।कुल शरीफ की तकमील पर डॉक्टर बिलाल हसन चिश्ती ने मुल्क में अमन, भाईचारे और खुशहाली की दुआ कराई। उन्होंने अपने ख़िताब में ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ रह. की तालीमात को अमन-ओ-सलामती का पैग़ाम बताते हुए कहा कि उनकी जिंदगी इंसानियत और मोहब्बत का बेहतरीन नमूना है। ख़्वाजा साहब ने हर मज़हब और तबके के इंसानों के लिए मुहब्बत का पैग़ाम दिया।

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