राजनीतिहरिद्वार

सियासी दंगल में ‘कुल्हाड़ी’ बनाम ‘कैंची’: पिरान कलियर के वार्ड नंबर 1 में घमासान..

दो निर्दलीय प्रत्याशियों की जोरदार टक्कर, एक ही बिरादरी के वोट बैंक में सेंधमारी की कोशिश, अन्य बिरादरियों के वोट बने ‘गेमचेंजर’..

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पंच👊नामा
पिरान कलियर: नगर पंचायत चुनाव अंतिम चरण में पहुंच चुका है, और चुनावी बिसात पर सियासी मोहरे पूरी शिद्दत से अपने दांव-पेंच दिखा रहे हैं। हर वार्ड में मुकाबले दिलचस्प होते जा रहे हैं, लेकिन वार्ड नंबर 1 में मुकाबले ने एक अलग ही रोमांचक मोड़ ले लिया है। यहां दो निर्दलीय प्रत्याशियों के बीच सियासी घमासान चरम पर है।इस वार्ड में कुल्हाड़ी के निशान से चुनाव लड़ रहे निवर्तमान सभासद परवेज मलिक और कैंची के निशान से ताल ठोक रहे अमजद मलिक आमने-सामने हैं। दोनों प्रत्याशी एक ही बिरादरी से आते हैं, जिसका इस वार्ड में वर्चस्व है, और यही बात इस चुनाव को और भी रोचक बना रही है। दोनों ही नेता अपने-अपने समर्थकों के साथ चुनावी मैदान में पूरी मजबूती से डटे हुए हैं और घर-घर जाकर मतदाताओं को रिझाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे।
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जनाधार और धड़ों का समर्थन….परवेज मलिक का अनुभव और निवर्तमान सभासद होने का लाभ उनके पक्ष में काम कर रहा है। दूसरी ओर, अमजद मलिक अपने क्षेत्र में लंबे समय से जनसरोकार के मुद्दों पर सक्रिय भूमिका निभाते आए हैं, जिससे उनकी मजबूत पकड़ मतदाताओं के बीच बनी हुई है। दिलचस्प बात यह है कि दोनों ही प्रत्याशियों को बड़े धड़ों का समर्थन प्राप्त है, जिससे मुकाबला और अधिक तीखा हो गया है।
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वोटों का गणित और गेमचेंजर बिरादरियां……वार्ड नंबर 1 में सबसे अधिक वोट उसी बिरादरी के हैं, जिससे दोनों उम्मीदवार आते हैं। ऐसे में, अन्य बिरादरियों के वोट निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं। अब सवाल यह है कि कौन-सी बिरादरी किस प्रत्याशी की नैया पार लगाएगी और कौन अपने रणनीतिक कौशल से बाजी मारेगा।
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मतदाताओं की चुप्पी और प्रत्याशियों का जोश….हालांकि मतदाता अभी तक खुलकर अपने पत्ते नहीं खोल रहे हैं, लेकिन प्रत्याशियों का जोश और उनके समर्थकों का उत्साह आसमान छू रहा है। चुनावी रैलियों और जनसंपर्क अभियानों में जोश और उत्साह देखते ही बनता है। हर गली, हर नुक्कड़ पर सियासत की चर्चा गर्म है, और हर व्यक्ति अपने हिसाब से चुनावी समीकरण बैठाने में जुटा है।
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नतीजों पर टिकीं निगाहें…..अब देखना यह होगा कि यह रोचक लड़ाई किस दिशा में जाती है। क्या परवेज मलिक अपने पुराने तजुर्बे के सहारे दोबारा जीत का परचम लहराएंगे, या अमजद मलिक जनसरोकार के मुद्दों को भुनाते हुए अपनी जीत सुनिश्चित करेंगे? इस सियासी दंगल का नतीजा केवल मतदाताओं के फैसले पर निर्भर है, जो जल्द ही चुनावी मैदान का भविष्य तय करेगा।

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