बैठक में ग्राम प्रधान की जगह पति को देखकर भड़की महिला अधिकारी, खाली कराई कुर्सी, जमकर हंगामा..
खुली बैठक के दौरान दोनों के बीच हुई तीखी नोंक-झोंक, पति बोले बीमार है प्रधान, बैरंग लौटी अधिकारी..
पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार: खुली बैठक के दौरान ग्राम प्रधान की जगह उनके पति को कुर्सी पर बैठा देख एक महिला अधिकारी का पर चढ़ गया। महिला अधिकारी बैठक में ग्राम प्रधान को बुलाने पर अड़ गई। ग्राम प्रधान पति का कहना था कि प्रधान बीमार है। तब महिला अधिकारी ने प्रधान के पति को कुर्सी से उठाकर जनता की कुर्सी पर बैठाया और बैठक रद्द कर चलती बनी। मामला पथरी क्षेत्र की ग्राम पंचायत नसीरपुर कला का है। इस दौरान जिला सैनिक कल्याण अधिकारी डॉ. सविता पंवार और ग्राम प्रधान प्रतिनिधि साजिद अली के बीच तीखी नोकझोंक हो हुई। डॉ सविता पवार सहित वहां मौजूद रहे कई लोगों ने अपने मोबाइल से एक दूसरे की वीडियो भी बनाई।
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क्या है पूरा मामला….?मंगलवार को जिलाधिकारी के निर्देश पर ग्राम पंचायत नसीरपुर कला में खुली बैठक आयोजित की गई थी। बैठक का उद्देश्य ग्राम पंचायत से संबंधित विकास कार्यों की समीक्षा, ग्रामीणों की समस्याएं सुनना और शासन की योजनाओं की जानकारी देना था।
बैठक शुरू होने से पहले जिला सैनिक कल्याण अधिकारी डॉ. सविता पंवार ने ग्राम प्रधान की अनुपस्थिति को लेकर प्रधान प्रतिनिधि से पूछताछ की। इस दौरान प्रधान प्रतिनिधि साजिद अली ने अपना परिचय प्रधान पति के रूप में दिया। इस पर अधिकारी ने सख्त लहजे में कहा कि प्रधान की गैरमौजूदगी में प्रधान प्रतिनिधि को उनके बगल में बैठने का अधिकार नहीं है और उन्हें जनता के बीच बैठने के लिए कहा। इसी बात को लेकर दोनों के बीच तीखी नोकझोंक हो गई।
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विवाद ने पकड़ा तूल…..अधिकारी के इस निर्देश पर प्रधान प्रतिनिधि ने नाराजगी जताई और बैठक में बैठने के अपने अधिकार पर जोर दिया। दोनों के बीच बहस बढ़ने पर अन्य अधिकारियों को हस्तक्षेप करना पड़ा, जिसके बाद मामला शांत हुआ। अंततः प्रधान प्रतिनिधि को जनता में बैठना पड़ा।
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बैठक स्थगित…..
ग्राम प्रधान की तबीयत खराब होने के कारण बैठक को स्थगित कर दिया गया। अधिकारियों ने घोषणा की कि अगली बैठक प्रधान की मौजूदगी में ही आयोजित की जाएगी ताकि ग्राम पंचायत के विकास कार्यों पर चर्चा संभव हो सके।
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ग्रामीणों में नाराजगी…..इस घटना के बाद ग्रामीणों में नाराजगी देखी गई। कई ग्रामीणों का कहना था कि प्रधान की अनुपस्थिति में उनके प्रतिनिधि को बैठक में शामिल होने का अधिकार होना चाहिए। वहीं, कुछ ग्रामीणों ने अधिकारी के इस कदम का समर्थन करते हुए कहा कि सरकारी बैठकों में नियमों का पालन आवश्यक है।
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अधिकारियों का पक्ष…..इस संबंध में जिला सैनिक कल्याण अधिकारी डॉ. सविता पंवार ने बताया कि सरकारी नियमों के अनुसार बैठक में केवल निर्वाचित प्रतिनिधि को ही कुर्सी पर बैठने का अधिकार होता है। प्रधान के अनुपस्थित होने की स्थिति में बैठक स्थगित करना ही उचित निर्णय था। दूसरी तरफ ग्राम प्रधान प्रतिनिधि का आरोप है कि अधिकारी उन्हें उंगली दिखाकर अभद्र भाषा में बात कर रही थी। उनको भी ऐसा व्यवहार करने का कोई अधिकार नहीं है।