उत्तराखंड

“बीमार वृद्धा को तीन दिन तक नहीं मिली हेली एम्बुलेंस, आठ किलोमीटर कंडी में ढोकर पैदल ले गए ग्रामीण..

आपदा प्रभावित क्षेत्रों में नहीं मिल रहा लाभ, ग्रामीण बोले विधायक विरोध के कारण हो रही उपेक्षा..

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पंच👊नामा-ब्यूरो
थराली (चमोली) आपदा प्रभावित क्षेत्रों में हेली एंबुलेंस सेवा की पोल एक बार फिर खुल गई है। थराली विधानसभा के दूरस्थ पार्था गांव में बीमार बुजुर्ग महिला को अस्पताल ले जाने के लिए ग्रामीणों ने तीन दिन तक हेली सेवा की मांग की, लेकिन सुविधा उपलब्ध नहीं कराई गई। मजबूर होकर ग्रामीणों ने महिला को कंडी में बैठाकर आठ किलोमीटर तक गोठिंडा तक लाया, जहां से सड़क मार्ग खुला तो उसे थराली अस्पताल और फिर देहरादून रेफर किया गया।हेल्पलाइन से लेकर विधायक तक लगाई गुहार, मिला सिर्फ आश्वासन….
ग्रामीणों ने बताया कि बीमार महिला के लिए विधायक से लेकर आपदा हेल्पलाइन तक गुहार लगाई गई। कई बार फोन किए गए, लेकिन हर बार सिर्फ आश्वासन ही दिया गया। हालात यह रहे कि न तो हेली एंबुलेंस भेजी गई और न ही कोई प्रशासनिक मदद समय पर पहुंची।गर्भवती महिला के मामले में भी नहीं मिली सुविधा…..
गांव के लोगों ने बताया कि कुछ दिन पहले ही एक गर्भवती महिला के लिए भी हेली सेवा की मांग की गई थी, मगर मदद न मिलने पर उसे खुद के इंतजाम से श्रीनगर बेस अस्पताल पहुंचाना पड़ा, जहां प्रसव कराया गया। ग्रामीणों का कहना है कि अगर समय पर हेली सेवा मिलती तो उन्हें इतनी मशक्कत नहीं करनी पड़ती।विधायक विरोध को जिम्मेदार ठहरा रहे ग्रामीण…..
ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि पंचायत चुनाव के दौरान गांव वालों ने विधायक का खुलकर विरोध किया था। इसी कारण जनप्रतिनिधि गांव की उपेक्षा कर रहे हैं। “जब भी कोई आपदा या बीमारी की स्थिति आती है तो हमें अपने हाल पर छोड़ दिया जाता है। यह सीधी राजनीति की मार है,” ग्रामीणों ने कहा।प्रशासन की चुप्पी पर सवाल….
ग्रामीणों का कहना है कि हेली एंबुलेंस जैसी महत्वपूर्ण सेवा जरूरतमंदों तक समय पर नहीं पहुंच रही है। तीन-तीन दिन इंतजार करने के बाद भी सेवा न मिलना कहीं न कहीं आपदा प्रबंधन की तैयारियों पर सवाल खड़े कर रहा है।ग्रामीण बोले—सरकार और प्रशासन दोनों जिम्मेदार…..
लोगों का कहना है कि सरकार हो या प्रशासन, दोनों ही उनकी पीड़ा को नजरअंदाज कर रहे हैं। “कागजों में योजनाएं बनती हैं, लेकिन जमीन पर राहत नहीं दिखती। वोट के समय नेता दरवाजे पर आते हैं, लेकिन मुश्किल वक्त में कोई दिखाई नहीं देता।

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