“आठ साल से लापता अखाड़ा परिषद के प्रवक्ता महंत मोहनदास की सीबीआइ जांच के आदेश..
जांच एजेंसियों की कार्यशैली पर हाइकोर्ट नैनीताल ने जताई नाराज़गी, तत्काल सीबीआई को सौंपने होंगे दस्तावेज..

पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार/नैनीताल: आठ साल पहले ट्रेन से मुंबई जाने के दौरान गायब हुए अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता और बड़ा उदासीन अखाड़ा के कोठारी महंत मोहनदास की गुमशुदगी मामले में हाइकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए जांच सीबीआइ को सौंपने के आदेश दिए हैं। करीब आठ साल से महंत का कोई सुराग नहीं मिलने पर अदालत ने राज्य की जांच एजेंसियों की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाए हैं।
न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की एकलपीठ ने कहा कि एक नागरिक के लापता रहने को आठ साल हो गए, लेकिन पुलिस व सीबीसीआईडी जांच को नतीजे तक नहीं पहुंचा सकी। इससे अदालत की अंतरात्मा हिल गई है।
2017 में ट्रेन यात्रा के दौरान हुए थे लापता
कनखल स्थित श्री पंचायती बड़ा उदासीन अखाड़ा राजघाट के महंत मोहनदास 16 सितंबर 2017 को हरिद्वार से मुंबई जाने के लिए लोकमान्य तिलक एक्सप्रेस से निकले थे। ट्रेन के भोपाल स्टेशन पहुंचने पर उनके शिष्य को पता चला कि वह गायब हैं। इसके बाद कनखल थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई गई।
जांच में बार-बार बदलाव, फाइनल रिपोर्ट भी खारिज
हाईकोर्ट ने पाया कि जांच अधिकारी बदलने का सिलसिला लगातार जारी रहा। यहां तक कि जांच एजेंसी ने एक बार फाइनल रिपोर्ट भी दाखिल कर दी थी, लेकिन मजिस्ट्रेट ने उसे खारिज कर नए सिरे से जांच के आदेश दिए।
मौलिक अधिकारों का सवाल..
याचिकाकर्ता पक्ष के अधिवक्ता गोपाल के वर्मा ने तर्क दिया कि निष्पक्ष जांच नागरिक का मौलिक अधिकार है। राज्य एजेंसियों की लापरवाही अनुच्छेद 14 व 21 के तहत प्रदत्त अधिकारों का उल्लंघन है।
‘‘न्याय के हित में सीबीआइ जांच जरूरी’’
हाईकोर्ट ने कहा कि जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार सिर्फ जीवित व्यक्ति तक सीमित नहीं, बल्कि यह सुनिश्चित करना भी जरूरी है कि लापता व्यक्ति का पता लगाया जाए। लिहाजा न्याय के हित में जांच को सीबीआइ को हस्तांतरित करना आवश्यक है।
अदालत ने राज्य अधिकारियों को निर्देश दिए कि एफआईआर संबंधी सभी रिकॉर्ड और अब तक की जांच रिपोर्ट तत्काल प्रभाव से सीबीआइ को सौंप दी जाए, ताकि सत्य की खोज आगे बढ़ सके।



