
पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार: शादी हर किसी के जीवन का अनमोल पल होता है। जबकि मतदान हर नागरिक के लिए अहम राजनीतिक अधिकार है।
चुनावी मौसम में दूल्हा बनने जा रहे युवा नेता अरशद ख्वाजा ने इन दोनों के बीच बेहतर तालमेल बिठाते हुए ना सिर्फ एक जिम्मेदार नागरिक का फर्ज अदा किया, बल्कि लोकतंत्र के महापर्व में हिस्सा लेने के बाद पारिवारिक जिम्मेदारी की तरफ कदम बढ़ाया है।
ज्वालापुर मंडी समिति के उपाध्यक्ष रह चुके अरशद ख्वाजा युवा कांग्रेस के जिला महासचिव भी हैं। पिछले महीने उनकी शादी का कार्यक्रम तय हुआ तो बारात की तारीख 14 फरवरी रखी गई थी। लेकिन आचार संहिता लागू होने पर उत्तराखंड में 14 फरवरी का मतदान देखते हुए उन्होंने बारात की तारीख आगे बढाते हुए मतदान को प्राथमिकता दी।
अरशद ख़्वाजा के बड़े भाई चौधरी मुस्तफा ख्वाजा का मानना था कि मतदान के दिन बारात ले जाने से काफी लोग मतदान से वंचित रह सकते थे, इसलिए मतदान से तीसरे दिन बारात ले जाने की बात लड़की पक्ष की सहमति से तय की गई। वहीं, हल्दी लगने से शादी अहम की रस्में शुरू हो जाती हैं और इसके बाद दुल्हा या दुल्हन शादी से पहले घर से बाहर नहीं जाते। अरशद ख्वाजा ने मतदान के बाद हल्दी लगवाने का फैसला लिया।
उन्होंने पहले वोट डालकर एक जिम्मेदार नागरिक का फर्ज अदा किया और फिर हल्दी से शादी की रस्मों का आगाज़ कर एक मिसाल कायम की है।