पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार: ऋषिकुल क्षेत्र में 11 वर्षीय बालिका का अपहरण , दुष्कर्म के बाद हत्या करने वाले अभियुक्त को विशेष न्यायाधीश पॉक्सो/अपर सत्र न्यायाधीश अंजली नौलियाल ने फांसी व 1 लाख 30 रुपए जुर्माने सजा की सुनाई है। जबकि मुख्य आरोपी के मामा राजीव को साक्ष्य छुपाने का दोषी पाते हुए 5 वर्ष की कैद व एक लाख रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है।
शासकीय अधिवक्ता आदेश चौहान ने बताया कि 20 दिसंबर 2020 को दोपहर में पीड़ित बालिका अपने घर की छत पर पतंग उड़ा रही थी। तभी आरोपी रामतीर्थ यादव पुत्र हृदय सिंह हाल निवासी ऋषि कुल हरिद्वार मूलनिवासी सुल्तानपुर उत्तर प्रदेश ने उसे पतंग देने के लिए बुलाया था।
बालिका अपनी मां को अभियुक्त के घर पतंग लेने जाने की बात कह कर घर से निकली थी। उसके बाद से वापस घर नहीं पहुंची थी। उसके परिवार वालों ने उसे आसपास तलाश किया और ना मिलने का पुलिस को सूचना दी थी।
पुलिस को राजीव कुमार निवासी निकट मधुबन होटल हरिद्वार की मकान की छत पर बालिका का शव कपड़े से ढका पड़ा मिला था। बालिका की दुष्कर्म करने के बाद रस्सी से गला घोट का हत्या की गई थी। पुलिस ने इस मामले में बालिका के पिता की तहरीर के आधार पर तीन लोगों रामतीर्थ यादव , राजीव कुमार एवं गंभीर चंद उर्फ गौरव के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। मुकदमे में अभियोजन पक्ष की ओर से 21 गवाह पेश किए हैं।
दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायालय ने रामतीर्थ यादव एवं राजीव कुमार को दोषी पाया है। जबकि गंभीर चंद को साक्ष्य अभाव में बरी कर दिया है।
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सड़क पर उतर आया था हरिद्वार …
हरिद्वार: बच्ची से दरिंदगी की घटना के बाद पूरे हरिद्वार में उबाल आ गया था और बड़ी संख्या में लोगों ने सड़क पर उतर कर विरोध प्रदर्शन किए थे। उग्र प्रदर्शन होने पर तत्कालीन एसपी सिटी कमलेश उपाध्याय के नेतृत्व में शहर भर की टीम को मोर्चा संभालना पड़ा था। अच्छी बात यह रही कि तत्कालीन मायापुर चौकी प्रभारी संजीत कंडारी ने समय रहते तत्परता दिखाते हुए बच्ची की खोजबीन शुरू कर दी थी और मुख्य आरोपी से पूछताछ के बाद बच्ची का शव बरामद कर लिया गया। पुलिस जरा भी देर करती तो बच्ची के शव को ठिकाने लगा दिया गया होता। फिर शायद ही कभी इस केस की गुत्थी सुलझ पाती। एएसपी डा. विशाखा अशोक भड़ाने और तत्कालीन शहर कोतवाल अमरजीत सिंह की भूमिका भी अहम रही थी।
दरअसल, इस मामले में मुख्य आरोपी को तो मौके पर ही गिरफ्तार कर लिया गया था जबकि उसका मामा राजीव फरार हो गया था। जनाक्रोश को देखते हुए राजीव की गिरफ्तारी पर एक लाख रुपये का इनाम भी घोषित किया गया था। तब सीओ अभय प्रताप सिंह के नेतृत्व में एक पुलिस टीम में उत्तर प्रदेश सुल्तानपुर जाकर गिरफ्तारी की थी। जिसके बाद पूरे हरिद्वार से लेकर देहरादून तक हरिद्वार पुलिस की सराहना और सम्मान हुआ था।