पंच👊नामा-ब्यूरो
रमज़ान-स्पेशल: रमज़ान का महिना अल्लाह ने सबसे बेहतर बनाया है। इस महीने अल्लाह अपनी रहमतें दुनिया पर सबसे ज्यादा नाज़ील करता है, और अपने बंदों को इबादत करते देख उनसे खुश और राज़ी होता है। साबरी जामा मस्जिद के ईमाम हाफिज सऊद साबरी ने बताते है कि हदीसों में आया है, रमज़ान का महीना इतना मुबारक है, कि यह साल का एकलौता ऐसा महिना है, जिसकी दिन और रात दोनों ही फजीलत वाली है।
इस्लाम के मुताबिक, पूरे रमजान को तीन हिस्सों में बांटा गया है, जो पहला, दूसरा और तीसरा अशरा कहलाता है। अरबी के 10 नंबर अशरा कहते है. इस तरह रमजान के पहले 10 दिन (पहला अशरा) और इसी तरह दूसरा और तीसरा अशरा 10-10 दिन का बंटा होता है।
पहला अशरा रहमत का होता है, दूसरा अशरा मगफिरत यानी गुनाहों की माफी और तीसरा अशरा जहन्नम की आग आजादी का होता है। रमजान के महीने को लेकर पैगंबर मोहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने कहा है, रमजान की शुरुआत में रहमत है, बीच में मगफिरत यानी माफी है और इसके अंत में जहन्नम की आग से बचाव है।रमजान के शुरुआती 10 दिनों में रोजा-नमाज करने वालों पर अल्लाह की रहमत होती है, रमजान के बीच यानी दूसरे अशरे में मुसलमान अपने गुनाहों से पाक हो जाता हैं और रमजान के आखिरी यानी तीसरे अशरे में अल्लाह को राजी कर जहन्नम की आग से आजादी पा लेता है। अभी पहले अशरा का एक दिन बाकी है, 10 रमज़ान के बाद दूसरा अशरा (मग़फ़िरत) का शुरू होगा।