दारोगा जी “इश्क़ में बीमार, वकील साहिबा संभाल रही चौकी का प्रभार..
चौकी पर एक इशारे में सुलझ रहे झगड़े,, घर बनाकर खिला रही लजीज पकवान..
पंच👊नामा ब्यूरो
सुल्तान, हरिद्वार: इश्क़ भी अजीब बीमारी है, जिससे हो जाये, उसके लिए सब कुछ कुर्बान है। एक चौकी की जिम्मेदारी संभाल रहे दारोगा जी को इस बीमारी ने इस कदर घेर लिया कि उन्होंने चौकी की बागडोर ही प्रेमिका के हाथ में थमा दी।प्रेमिका क्योंकि पेशे से वकील हैं तो जाहिर है कि कानून की जानकारी रखती हैं। अब हालात यह हैं कि कितना भी पेचीदा झगड़ा हो वकील साहिबा के एक इशारे पर हल हो जाता है।दोनों पक्षों में जो भी पक्ष वकील साहिबा के मन को भा जाए वह चौकी से कभी मायूस नहीं लौटता।यह तो रही कामकाज की बात। खाकी और काले कोट की जुगलबंदी चौकी से निकलकर घर तक कायम है। चर्चा तो यहां तक है कि वकील साहिबा अपने हाथों से लजीज पकवान बनाकर दारोगा जी को खिलाती हैं। यही वजह है कि दारोगा जी का मन चौकी पर कम और कमरे पर ज्यादा लगता है।एक कहावत है कि इश्क और मुश्क यानी खुशबू छुपाए नहीं छुपती है, इसलिए चौकी से लेकर थाने और वकील साहिबा के गांव तक इस प्रेम कहानी के चर्चे अब आम होने लगे हैं। वकील साहिबा भले ही अविवाहित हैं, लेकिन दारोगा जी न सिर्फ शादीशुदा है, बल्कि बच्चों के पिता भी हैं। बेमेल जोड़ी के बावजूद, फिलहाल दारोगा जी के अच्छे दिन चल रहे हैं, बस उन्हें हमेशा यह डर लगा रहता है कि भनक लगने पर उनकी पत्नी कहीं इस प्रेम कहानी में विलेन की भूमिका में एंट्री ना मार दे।
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