“उत्तराखंड में यूसीसी के बीच पूर्व विधायक के बाद अब एक और भाजपा नेता की दूसरी शादी का खुलासा..
दोनों पत्नियों के पुलिस चौकी पहुंचने पर हुआ जमकर हंगामा, असहज दिखी पुलिस, उठ रहे सवाल, चुटकी ले रहे कांग्रेसी..

पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार: उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (UCC) लागू करने की तैयारी जोरों पर है, लेकिन खुद सत्तारूढ़ भाजपा के नेताओं की निजी ज़िंदगी इसके विरुद्ध खड़ी नजर आ रही है।पूर्व विधायक सुरेश राठौर के बहुविवाह विवाद के बाद अब भाजपा युवा मोर्चा के एक पदाधिकारी पर पहली पत्नी के रहते दूसरी शादी करने का गंभीर आरोप सामने आया है।
मामला सोमवार देर रात जगजीतपुर पुलिस चौकी तक पहुंचा, जहां दोनों पत्नियों के आमने-सामने आने पर जमकर हंगामा हुआ।
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पड़ोस की युवती से की कोर्ट मैरिज, अब बताने लगा ‘पत्नी’…. घटना कनखल थाना क्षेत्र की विकास कॉलोनी राजा गार्डन की है, जहां रहने वाला सुनील पाल उर्फ भूरा भाजपा युवा मोर्चा बहादराबाद मंडल का महामंत्री और वर्तमान में बूथ अध्यक्ष भी है। कुछ महीने पहले वह अपने ही पड़ोस की युवती के साथ कोर्ट मैरिज कर लाया और उसे घर में रखने लगा। पहले वह उसे परिवार का हिस्सा बताता था, लेकिन अब ‘पत्नी’ कहने लगा।
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युवती के परिजन पहुंचे, हुआ हंगामा….जब युवती के परिजनों को इसकी भनक लगी, तो वे सुनील पाल के घर पहुंचे और बेटी को साथ ले जाने की कोशिश की। इसी दौरान सुनील ने कोर्ट मैरिज की बात कही, जिससे लड़की के माता-पिता हैरान रह गए। बात इतनी बिगड़ी कि युवती के परिजनों ने खुद अपनी बेटी से ही कहासुनी शुरू कर दी। मारपीट की नौबत आते देख सुनील पाल ने पुलिस को सूचना दी।
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पुलिस पहुंची, चौकी में सामने आई पहली पत्नी…..मौके पर पहुंची पुलिस दोनों पक्षों को लेकर जगजीतपुर चौकी पहुंची। वहीं, हंगामे की सूचना मिलते ही सुनील पाल की पहली पत्नी भी मौके पर पहुंच गई। जैसे ही उसे पति की दूसरी शादी का पता चला, वह भड़क उठी और सुनील व दूसरी महिला को जमकर खरी-खोटी सुनाई। दोनों महिलाओं के बीच कहासुनी काफी देर तक चलती रही।
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पहली शादी कायम, 8 साल का बेटा भी…..सूत्रों के मुताबिक, सुनील पाल की पहली पत्नी से अब तक न तलाक हुआ है, न संबंध विच्छेद। दोनों का करीब आठ साल का बेटा भी है। ऐसे में बिना तलाक दूसरी शादी करना कानूनी और नैतिक दोनों दृष्टि से गंभीर सवाल खड़े करता है।
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न तहरीर, न केस — पुलिस ने दी हिदायत….चौकी में कई घंटे तक चले हंगामे के बाद भी किसी पक्ष ने कोई लिखित शिकायत नहीं दी। ऐसे में पुलिस ने सभी को समझाइश देकर घर भेज दिया। हालांकि मामला अब राजनीतिक रंग लेता दिख रहा है।
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भाजपा नेतृत्व की चुप्पी पर निगाहें….अब सवाल यह है कि पार्टी अनुशासन की दुहाई देने वाली भाजपा अपने पदाधिकारी के इस विवादास्पद कदम पर क्या कार्रवाई करती है। खासकर तब, जब राज्य सरकार स्वयं विवाह कानूनों को समान नागरिक संहिता के तहत सख्त करने की दिशा में आगे बढ़ रही है।