पंच👊नामा
पुष्पराज धीमान, हरिद्वार: 10 मार्च को चुनाव के नतीजे सामने आएंगे, इससे पहले सभी प्रत्याशी गुणाभाग में टाइम पास कर रहे है। वही जिले में एक प्रत्याशी ऐसा भी है जिसकी एक गलती ने ये मौका गवा दिया, साथ ही पार्टी की भी खूब किरकिरी कराई। अपनी रणनीति में ही फंसे महाशय चौतरफा हास्य पर रह गए। कहने वाले कह रहे है कि चार-चार पार्टियों के बोझ तले नेता जी घुटने टेक गए और अपने हाथों से ही अपनी नाव में छेद-कर नय्या डूबा डाली।
दरअसल हरिद्वार ग्रामीण सीट पर समाजवादी पार्टी से टिकट लाने में कामयाब रहे साजिद अंसारी पार्टी को बीच मझदार में छोड़कर बसपा के साथ खड़े हो गए। ये फैसला इतनी जल्दबाजी में लिया गया कि जिन कार्यकर्ताओ के कंधों पर नेता जी सदन पहुँचने का सपना देख रहे थे उनतक की रायशुमारी नही ली गई। जिसको लेकर समर्थक इतने नाराज हुए की उन्होंने सपा/बसपा से मुंह मोड़ कांग्रेस को मजबूत करने का फैसला ले लिया। टिकट लाने के बाद से ही क्षेत्र में चर्चाएं थी कि सपा प्रत्याशी साजिद अंसारी भाजपा के लिए काम कर रहे है। मुस्लिम वोटों में सेंधमारी कर कांग्रेस को नुकसान और भाजपा को फायदा पहुँचाने का काम किया जा रहा है। लेकिन ये दाव उस समय उल्टा पड़ गया जब साजिद अंसारी बीच चुनाव में ही बसपा प्रत्याशी यूनुस अंसारी को समर्थन में बैठ गए। मैदान छोड़कर भागे सपा प्रत्याशी के समर्थक इस बात से हैरान हुए की बिना रायशुमारी के उठाया गया कदम आखिरकार किसको फायदा पहुँचाने के लिए उठाया गया, या फिर इसमें उनका क्या स्वार्थ है, यही वजह रही कि समर्थकों ने अपनी लाइन अलग करते हुए कांग्रेस के पक्ष में जाने का निर्णय ले लिया, जिससे साजिद का दांव यानी भाजपा को फायदा और कांग्रेस को नुकसान पहुँचाना उल्टा पड़ गया। पार्टी की साख को बट्टा लगाने वाले प्रत्याशी चार-चार पार्टियों के कंधे पर सवार होकर अपनी ही रणनीति में ध्वस्त होते दिखाई दिए।
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क्या कहते है साजिद अंसारी…..
हरिद्वार: साजिद अंसारी का कहना है कि उन्होंने समर्थन बसपा प्रत्याशी को नहीं बल्कि अंसारी समुदाय को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए अपनी बिरादरी को समर्थन दिया है। जो आजादी के बाद भी विकास की मुख्य धारा में नहीं आ पाए, उन्होंने कहा जिन लोगों को मेरा यह कदम मेरी राजनीतिक हत्या दिख रही है उन आंखों को मेरे द्वारा अपने मुस्लिम समाज के लिए किया गया ये बलिदान दिखाई नहीं देगा। अंसारी ने कहा बहुत जल्द ही एक ऐसा संगठन बनेगा जो अंसारी बिरादरी के राजनीतिक वजूद के लिए लड़ाई लड़ेगा।