ताबड़तोड़ मुठभेड़ों के बीच पुलिस-प्रशासन के गले की फांस बना “चैंपियन-उमेश प्रकरण, आख़िर किस करवट बैठेगा ऊंट..?
चैंपियन-उमेश गोलीकांड का महीने भर बाद भी नहीं हुआ निपटारा, बोझिल हुआ जिला, सत्ताधीशों की चुप्पी पर भी सवाल..

पंच👊नामा-ब्यूरो
सुल्तान, हरिद्वार: जिले में हर दूसरे दिन हो रही पुलिस मुठभेड़ को देखकर लग रहा है कि हरिद्वार में सन 2000 का दशक लौट आया है। जिले की जनता “डकैती, लूट और हत्या से लेकर गौकशी, चेन स्नैचिंग और जाली नोट चलाने वाले आरोपियों को गोली लगते देख रही है। लेकिन पिछले एक महीने से हर दिन पुलिस की अग्निपरीक्षा ले रहे चैंपियन-उमेश प्रकरण का निपटारा होते नहीं देख रही है। दोनों धुरंधरों ने शुरुआत तो कर दी। रही कसर उनके समर्थक बीच-बीच में पूरी कर रहे हैं। सरसरी तौर पर देखा जाए तो जिले में छुटभैया अपराधियों से लेकर बड़े बदमाशों की खैर नहीं है।
लेकिन जिले की कानून व्यवस्था को ठेंगे पर सिस्टम को अपने इशारों पर नचाने वाले माननीयों का कोई तोड़ नहीं निकल पा रहा है। हकीकत यह है कि जिले का आमजन अब इस प्रकरण से बोझिल हो चुका है।
पुराने केस में चैंपियन के जेल जाने और उमेश कुमार के बेल पर छुटने के बाद पहले दोनों नेताओं के समर्थकों ने अलग-अलग महापंचायतों का ऐलान करते हुए जिले के एक बड़े हिस्से को अशांत करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
गोलीकांड का एक महीना बीतने पर फिर किसी सिरफिरे ने उमेश कुमार के कार्यालय पर फायरिंग कर प्रकरण ताजा कर दिया। चैंपियन को जेल गए करीब एक महीना हो चुका है और जमानत के लिए तमाम जद्दोजहद करनी पड़ रही है।
दूसरी तरफ उमेश कुमार भी क्रास मुकदमे के साथ-साथ पुलिस कप्तान को धमकी देने के आरोप में दर्ज हुए मुकदमे का सामना कर रहे हैं। बड़ा सवाल यह है कि जिले की कानून व शांति व्यवस्था से खेलने की हिमाकत आखिर कौन कर रहा है और इसके पीछे उसका मकसद क्या है।
आम लोग समझ नहीं पा रहे हैं कि इस विवाद का ऊंट आखिर कब और किस करवट बैठेगा।
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सरकार और संगठन की चुप्पी पर सवाल….संसदीय कार्य मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के विधानसभा में दिए गए बयान पर पूरे प्रदेश में उबाल आ गया। भाजपा के मुखिया महेंद्र भट्ट ने प्रेमचंद अग्रवाल को तलब किया। यहां तक की मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को भी सफाई देते हुए उत्तराखंड की गरिमा को तार-तार करने वालों को चेतावनी देनी पड़ी।
लेकिन एक महीने से प्रदेश के सबसे बड़े जनपद हरिद्वार को सुलगाने वाले “चैंपियन-उमेश प्रकरण को लेकर सत्ता और संगठन दोनों खामोश हैं। इस रहस्यमयी चुप्पी को भी हरिद्वार जिले के बाशिंदे समझ नहीं पा रहे हैं।