
पंच👊नामा-ब्यूरो
उत्तराखंड डेस्क: भाजपा सरकार में दर्जाधारी रहे विनोद आर्य के वनंतारा रिसोर्ट में काम करने वाली अंकिता भंडारी की हत्या के मामले में सीबीआई जांच की मांग को लेकर परिजन धरने पर बैठ गए हैं। इस मामले में मुख्य आरोपी पुलकित आर्य व उसके दोनों साथी जेल में बंद हैं। लेकिन घटना के खुलासे के चंद घंटे बाद रात के अंधेरे में रिसोर्ट पर अज्ञात बुलडोजर चलने और हाल ही में रिसोर्ट के पीछे स्थित विनोद आर्य की स्वदेशी फैक्ट्री में संदिग्ध परिस्थितियों में आग लगने पर

अंकिता भंडारी के परिजनों ने सवाल उठाते हुए आरोप लगाया है कि इन दोनों घटनाओं को अंजाम देकर आरोपियों को बचाने के लिए सुबूत नष्ट कर दिए गए हैं।

उन्होंने मौजूदा जांच और सबूतों के आधार पर आरोपियों को कठोर सजा मिलने पर संशय जताते हुए सीबीआई जांच की मांग उठाई है।

अंकिता भंडारी को न्याय दिलाने के लिए युवा न्याय संघर्ष समिति की ओर से 41 दिन से कोयलघाटी में धरना दिया जा रहा है। समिति के सदस्य क्रमिक अनशन और आमरण अनशन कर रहे हैं। अंकिता के पिता वीरेंद्र भंडारी सोमवार शाम को भी धरनास्थल पहुंचे थे। मंगलवार को वह फिर धरने में शामिल हुए और पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि घटना से संबंधित सारे साक्ष्यों को नष्ट कर दिया गया है। जिस कमरे में आरोपी रहते थे वह कमरा ही अगले दिन तोड़ दिया गया और सुबूत नष्ट कर दिए गए।

एसआईटी इस मामले में जांच कर रही है। जब साक्ष्य ही खत्म हो गए तो आरोपियों को कठोर सजा कहां से मिलेगी।पौड़ी जिले के यमकेश्वर में वनंत्रा रिजॉर्ट में अंकिता भंडारी (19) रिसेप्शनिस्ट के रूप में कार्य करती थी।

18 सितंबर की रात वह अचानक लापता हो गई तो उसकी तलाश शुरू हुई। अंकिता की गुमशुदगी के मामले में 23 सितंबर को पुलिस ने तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस पूछताछ में उन्होंने हत्या की बात स्वीकारी। आरोपियों की निशानदेही पर ही अंकिता का शव 24 सिंतबर को एक नहर से बरामद किया गया था।

इस मामले में पुलिस ने पुलकित आर्य सहित तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। अंकिता के परिजन पहले दिन से आरोप लगा रहे हैं कि पुलकित आर्य के पिता अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए जांच को प्रभावित कर रहे हैं।

पहले रिजॉर्ट में बुलडोजर और फिर संदिग्ध परिस्थितियों में फैक्ट्री में आग लगने की घटना पर सवाल उठाए जा रहे हैं।