धर्म-कर्महरिद्वार

रुखसत हो रहा अकीदत का कारवां, साबरी मेहमानों अलविदा….

खैरियत की दुआ के साथ नम आंखों से विदाई ले रहे जायरीन..

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पंच👊नामा- पिरान कलियर: भीगी पलकों के साथ साबिर के सालाना उर्स की अंतिम रस्म को अदा करने बाद नम आँखों के साथ साबरी मेहमान दरबार-ए-शरीफ से ये कहकर रुखसत हुए कि “है दर पे खड़े आपके दे दी जिये इजाज़त,, रुखसत के तलब्दार है मेहमान तुम्हारे… सूफीज्म का बड़ा मरकज़ दरगाह हज़रत सैय्यदना मखदूम अलाउद्दीन अली अहमद साबिर पाक के 753 वे सालाना उर्स की अंतिम रस्म ग़ुस्ल शरीफ़ को सज्जादानशीन शाह अली एजाज कुद्दुसी साबरी की सरपरस्ती में अदा किया गया।

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जिसके बाद जायरिनों ने नम आंखों के साथ दरबार-ए-साबरी से विदाई ली। अंत मे ज़ायरीनों की सकुशल घर वापसी और अगले उर्स में फिर शामिल होने व देश की अमनो अमान की दुआ के साथ उर्स सम्पन्न हुआ।

सूफ़ीसन्तो की नगरी पिरान कलियर में सूफीज्म का बड़ा इदारा दरगाह सैय्यदना हज़रत मखदूम अलाउद्दीन अली अहमद साबिर पाक के सालाना उर्स की अंतिम रस्म ग़ुस्ल शरीफ ब्रस्पतिवार को सुबह 10 बजे अदा की गई, देश के कोने कोने से आये ज़ायरीनों ने रोज़ा ए साबिर पाक को केवड़ा जल व इत्र से नहला कर अपनी अक़ीदत ओर मुहब्बत का इज़हार किया। इस दौरान तमाम ज़ायरीन बड़े जोश के साथ दाता करीम साबिर, मौला करीम साबिर के नारे लागते रहे। पूरा दरगाह परिसर नारों की सदाओं से गूंजता रहा। सज्जादा नशीन शाह अली मंज़र एजाज़ साबरी ने हाथ उठा कर उर्स में शिरकत करने आये तमाम ज़ायरीनो के सकुशल घर पहुंचने की दुआ कराते हुए देश के अमनो अमान और कोरोना वबा के जड़ से खात्मे की दुआ की। अधिकतर जायरीन ग़ुस्ल शरीफ की रस्म होने के बाद दरगाह साबिर पाक में हाज़री लगा कर विदा हो गए। इस मौके पर सज्जादानशीन प्रतिनिधि शाह सुहैल मिया, काशिफ़ एज़ाज़, राजू फरीदी, खालिक मिया, साहिबजादा शाह यावर मियां, खादिम मुनव्वर अली साबरी, गुलशाद सिद्दीकी, चौ.शादाब कुरैशी, हाजी अकील, नोमी मियां साबरी, असद साबरी, रियाज़ कुरैशी, कुँवर शाहिद, शफीक साबरी, सलीम साबरी, राशिद साबरी, शाह गाजी, शाह राज़ी, सहित काफी संख्या में अकीदतमंद मौजूद रहे।



दादा पीर बाबा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी का कुल….

आज रात बाद नमाज़ ए ईशा साबिर पाक के दादा पीर हज़रत बाबा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी रह. का क़ुल शरीफ़ पढ़ा जाएगा। क़ुल शरीफ़ के बाद महफ़िल ए समा में मशहूर कव्वाल सूफियाना कलाम पेश करेंगे। महफिले समा के आख़िर में दस्तारबंद कव्वाल निज़ाम साबरी रुखसती कलाम पढ़ेंगे, अंत मे दुआएं खैर के बाद साबिर पाक का सालाना उर्स विधिवत रूप से सम्पन्न हो जाएगा।

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