पंच👊नामा-ब्यूरो
विकास कुमार, हरिद्वार: धोखाधड़ी कर खाते से पांच लाख की रकम निकालने की घटना में बैंक का संविदाकर्मी ही मास्टरमाइंड निकला। मामला कनखल क्षेत्र के जगजीतपुर स्थित उत्तरांचल ग्रामीण बैंक का है। खाते से रकम निकालने की पूरी कहानी “सुनील शेट्टी, अक्षय कुमार और परेश रावल की हेराफेरी जैसी किसी बॉलीवुड फिल्म से कम नहीं है। दरअसल, खाते में रकम देखकर संविदाकर्मी का ईमान डोल गया और उसने खाताधारक की हमशक्ल का सहारा लेते हुए रकम साफ कर दी। लेकिन एक चूक से कानून के हाथ उसके गिरेबान तक पहुंच गए। थानाध्यक्ष नितेश शर्मा के नेतृत्व पुलिस ने आमजन की गाढ़ी कमाई की धोखाधड़ी से जुड़े पेचीदा मामले की गुत्थी सुलझाते हुए असली हेराफेरी के “सुनील शेट्टी, अक्षय कुमार और परेश रावल” को चार लाख की नकदी और कार समेत दबोच लिया।
एसएसपी अजय सिंह ने पुलिस टीम की पीठ को शाबाशी देते हुए आमजन से भी अपने बैंक खातों को लेकर जागरूक व सतर्क रहने की अपील की है।
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“विड्रोल फॉर्म पर किए फर्जी हस्ताक्षर……..
जमालपुर कलां, कनखल निवासी रतन सिंह ने पुलिस को तहरीर देकर बताया कि जगजीतपुर स्थित उत्तरांचल ग्रामीण बैंक में उनके खाते से किसी अज्ञात व्यक्ति ने 25 अप्रैल को 5 लाख रुपए निकाल लिए हैं। बैंक जाकर पता करने पर कर्मचारियों ने विड्रोल फॉर्म दिखाया। जिसमें हूबहू उनके जैसे साइन किए गए थे। लेकिन इसके बारे में खाताधारक को कोई जानकारी नहीं थी। पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर छानबीन की और सीसीटीवी कैमरे की फुटेज खंगाली। अहम सुराग हाथ लगने पर पुलिस ने बैंक में काम करने वाले सन्नी को हिरासत में लेकर पूछताछ की। शुरुआत में सन्नी ने पुलिस को कई मर्तबा गुमराह करने का प्रयास किया। लेकिन बाद में पुलिस की रणनीति के आगे सन्नी ने घुटने टेक दिए और रट्टू तोते की तरह जो कहानी बयान की उस उसे सुनकर पुलिस भी हैरान रह गई।
———————————“सहारनपुर से ढूंढ कर लाए डुप्लीकेट रतन सिंह……
सन्नी बैंक में चाय पानी पिलाने का काम करता था। लेकिन स्टाफ की कमी के कारण वह कभी-कभी कंप्यूटर वर्क भी संभालता था। कुछ दिन पहले सन्नी की नजर रतन सिंह के बैंक खाते पर पड़ी। जिसमें लाखों की रकम मौजूद थी। लेकिन काफी दिनों से कोई लेन-देन नहीं हुआ था। यहीं से उसके शैतानी दिमाग में धोखाधड़ी का आईडिया आया और उसने अपने दोस्त मोनू के साथ मिलकर रतन सिंह का हमशक्ल व्यक्ति रविंद्र निवासी सरसावा से संपर्क किया। 25 अप्रैल को उसे बैंक बुलाया और सन्नी ने कंप्यूटर में देखकर विड्रोल फार्म पर रतन सिंह की तरह हस्ताक्षर कर दिए। बैंक शाखा में कम रकम मौजूद होने के चलते आरोपियों ने हंगामा करते हुए दबाव बनाने का प्रयास भी किया। सन्नी के बीच-बचाव करने पर दूसरी शाखा से रकम मंगाई गई। इसके बाद रकम डुप्लीकेट रतन सिंह यानी रविंद्र को सौंप दी गई। धोखाधड़ी में कामयाब होने पर सन्नी और मोनू ने दो-दो लाखों रुपए रखे और रविंद्र को एक लाख रुपए का हिस्सा दिया गया।
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“पुलिस ने ऐसे हल किया केस……
पुलिस ने सबसे पहले बैंक के सीसीटीवी कैमरे की फुटेज खंगाले। 25 अप्रैल की फुटेज गायब मिलने पर पुलिस के शक की सुई बैंक स्टाफ की तरफ घूम गई। पूछताछ करने पर सन्नी समेत सभी ने पल्ला झाड़ लिया। पुलिस ने घटना के बाद की फुटेज खंगाली तो एक कैमरे में सन्नी सीसीटीवी संचालित करने वाले कंप्यूटर में छेड़छाड़ करता दिखा। पूछताछ में फिर सन्नी पुलिस को गच्चा दे गया।
थानाध्यक्ष नितेश शर्मा के नेतृत्व में टीम ने जब बैंक के बाहर लगे सीसीटीवी कैमरा को खंगालना शुरू किया तो एक दुकान के कैमरे में रतन सिंह का हमशक्ल गाड़ी से उतरता नजर आया। उसकी पहचान सन्नी के दोस्त मोनू के रूप में हुई। मुखबिर की सूचना पर हिरासत में लेकर पूछताछ करने पर धोखाधड़ी की पूरी कहानी शीशे की तरह साफ हो गई।
———————————-“गिरफ्तार अभियुक्तों का विवरण…….
1-सन्नी कुमार पुत्र विशनदास निवासी D-36 मायापुर डामकोठी कोतवाली नगर हरिद्वार
2-मोहित शर्मा उर्फ मोनू पुत्र दिनेशचन्द्र शर्मा निवीस अशोक विहार राजागार्डन थाना कनखल जनपद हरिद्वार
3-रविन्द्र पुत्र सल्लूराम निवासी ग्राम सरसावा थाना सरसावा जिला सहारनपुर उ0प्र0
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“पुलिस टीम……
1- थानाध्यक्ष कनखल नितेश शर्मा
2- व0उ0नि0 अभिनव शर्मा
3- उ0नि0 देवेन्द्र सिहं तोमर
4- उ0नि0 कमलकान्त रतूडी
5- उ0नि0 भजराम चौहान
6- का0 अरविन्द नौटियाल
7- का0 जितेन्द्र राणा
8- का0 सतेन्द्र रावत