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परिवर्तन यात्रा से पहले और बिखरे कांग्रेसी, किसी को “रावत तो किसी को “प्रीतम प्यारे….

: पोस्टर में भी एकजुट नहीं कांग्रेसी, कहीं सतपाल तो कहीं अशोका गायब..... : कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा के होर्डिंग-पोस्टरों से पटा हरिद्वार शहर 

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परिवर्तन यात्रा से पहले और बिखरे कांग्रेसी, किसी को “रावत तो किसी को “प्रीतम प्यारे….

: पोस्टर में भी एकजुट नहीं कांग्रेसी, कहीं सतपाल तो कहीं अशोका गायब…..
: कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा के होर्डिंग-पोस्टरों से पटा हरिद्वार शहर 
पंच 👊 नामा ब्यूरो
हरिद्वार: प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के लिए कांग्रेस शनिवार को हरिद्वार में परिवर्तन यात्रा का आगाज करने जा रही है। जिसका उद्देश्य जमीनी स्तर पर कांग्रेस के पक्ष में माहौल तैयार करना है। लेकिन हरिद्वार के कांग्रेसियों की हालत देखी तो तस्वीर इसके ठीक उलट है। चुनाव के मुहाने पर खड़े कांग्रेसी अभी तक भी रावत और प्रीतम गुट से बाहर नहीं आ पा रहे हैं। किसी गुट को सिर्फ “हरीश रावत से मतलब है तो किसी गुट को सिर्फ “प्रीतम ही प्यारे हैं। गुटबाजी से कांग्रेस के होर्डिंग और पोस्टर भी अछूते नहीं हैं। परिवर्तन यात्रा के “होर्डिंग और पोस्टरों से पूरा शहर पटा हुआ है। लेकिन ऊपरी धाराओं से चली आ रही गुटबाजी ने नीचे तक नेताओं को बांट कर रख दिया है।

प्रीतम गुट के इस पोस्टर में सतपाल ब्रह्मचारी को जगह नहीं मिल सकी

हरिद्वार में लगे इन होर्डिंग व पोस्टरों में कहीं पूर्व पालिका अध्यक्ष सतपाल ब्रह्मचारी गायब हैं, तो कहीं महापौर के पति अशोका नदारद हैं। संजय पालीवाल भी इक्का-दुक्का पोस्टरों में ही दिख रहे हैं। यात्रा से ऐन पहले गुटबाजी इस कदर मुखर हुई कि महापौर अनिता शर्मा के पति ने अपने कार्यालय में ही कार्यकर्ताओं और समर्थकों को बैठा कर प्रीतम और गोदियाल के समर्थन में नारेबाजी की।

महापौर के पति अशोक शर्मा के कार्यालय में मौजूद पार्षद और उनके समर्थक

इसका एक वीडियो भी अशोक शर्मा ने फेसबुक पर पोस्ट किया है। जिसमें उन्होंने गणेश गोदियाल और प्रीतम समेत कांग्रेस के तमाम नेताओं को याद रखा, पर चुनाव संचालन समिति के मुखिया हरीश रावत को भूल गए।

वहीं, दूसरे गुट के कार्यकर्ताओं ने फेसबुक पर भड़ास निकालते हुए इशारों ही इशारों में संजय पालीवाल और अशोक शर्मा पर निशाना साधा है। दूसरी तरफ कांग्रेस के मुस्लिम नेताओं में भी पहले जैसा इत्तेफाक नजर नहीं आ रहा है।

परिवर्तन यात्रा हरिद्वार में कांग्रेसी का माहौल जमाने में कितनी कामयाब हो पाएगी, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा। पर फिलहाल गुटों में बैठे कांग्रेसियों को देखकर यह कहना गलत नहीं होगा कि परिवर्तन यात्रा निकालने से पहले कांग्रेस के दिग्गजों को अपनी गुटबाजी खत्म करते हुए निचले स्तर पर नेताओं और कार्यकर्ताओं को एक सूत्र में पिरोना चाहिए था। इन परिस्थितियों में जब कार्यकर्ता ही एकजुट नहीं हैं, तो आम जनता कांग्रेस पर कितना भरोसा करेगी।

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