
पंच👊नामा-ब्यूरो
विकास कुमार, हरिद्वार: अपने तुगलकी और अजीबोगरीब फरमान को लेकर भेल रानीपुर की प्रबंधिका आजकल खूब चर्चाओं में है। भेल प्रशासन ने अब एक नया फरमान जारी किया है कि भेल के स्टेडियम और पार्कों में सिर्फ भेलकर्मियों और भेल से जुड़े अन्यकर्मियों को प्रवेश की इजाजत है।

भेल के इस फरमान को लेकर हरिद्वार के आमजन में आक्रोश पैदा हो गया है। खास तौर पर सोशल मीडिया पर लोग इस आदेश को लेकर भेल प्रबंधिका को आड़े हाथों ले रहे हैं। साथ ही यह भी पूछ रहे हैं कि यदि भेल के पार्क और स्टेडियम सिर्फ भेल से जुड़े लोगों के लिए है तो फिर बाकी हरिद्वार की सड़कों, पुल, चौराहों और बाजारों में भेलकर्मियों का क्या औचित्य।

इतना ही नहीं, कई लोग भेल कर्मियों की बाकी इलाकों में एंट्री पर रोक की मांग भी उठा रहे हैं। लोगों में यह आक्रोश आने वाले दिनों में कानून व शांति व्यवस्था का मुद्दा भी बन सकता है। हालांकि, तुगलकी फरमान और इस पर भड़के लोगों की यह मांग, दोनों ही व्यावहारिक हैं।

लेकिन सवाल इसलिए भी वाजिब है कि हाल ही में शहर विधायक मदन कोशिक के बेटे की शादी भेल सेक्टर एक स्थित रामलीला ग्राउंड में संपन्न हुई। करीब 10 दिन तक शादी की तैयारियों के लिए तंबू गाड़े गए, खाने का इंतजाम हुआ और आमजन से लेकर वीआईपी मेहमान पधारे।

ऐसे में लोग सवाल पूछ रहे हैं कि अपनी संपत्तियों को लेकर भेल के दोनों कानून आखिर क्यों है। वह भी तब, जबकि भेल कारखाना स्थापित करने के लिए हजारों एकड़ भूमि का अधिग्रहण भी स्थानीय लोगों से ही किया गया था। यह सबको मालूम है कि देश के कई बड़े औद्योगिक संस्थानों की तरह भेल भी अपने बुरे वक्त से गुजर रहा है।

भेल की सीमाओं के बैरियर, जहां पर सीआईएसएफ के जवान तैनात रहते थे, वहां अब होमगार्ड भी नहीं है। कुछ साल पहले तक भेल की शान रहे स्वर्ण जयंती पार्क अपनी बदहाली पर खुद आंसू बहा रहा है। टूटे हुए झूले और चारों तरफ उगी झाड़ियां व कचरे के ढेर खुद ही लोगों को पार्क में आने से रोक रहे हैं। ऐसे में भेल प्रबंधन आमजन पर प्रतिबंध लगाकर क्या संदेश देना चाहता है।

युवा कांग्रेस के पूर्व प्रदेश प्रवक्ता वरुण बालियान ने अपने फेसबुक पेज पर भेल प्रबंधन से यह सवाल पूछा है कि क्या विधायक मदन कौशिक का बेटा भेल का दामाद है जो उसकी शादी का आयोजन भेल में हुआ और आमजन को आने से रोका जा रहा है।
इसी पोस्ट पर तमाम लोगों ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए भेल के आदेश को तुगलकी फरमान बताया और सवाल उठाया कि ऐसे तो हरिद्वार, कनखल, ज्वालापुर आदि उपनगरी में भेलकर्मियों का क्या काम है।
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पुलिस प्रशासन ने नहीं दिया दखल तो अप्रिय घटना…..
गौर करने वाली बात यह है कि हरिद्वार, ज्वालापुर और कनखल से बड़ी तादाद में लोग मॉर्निंग और इवनिंग वॉक के लिए भेल का रुख करते हैं। स्थानीय खेल प्रतिभाएं भी अपना हुनर निखारने के लिए भेल के मैदानों में पसीना बहाती हैं। यदि पुलिस प्रशासन के आला अधिकारियों ने इस संबंध में आवश्यक दखल नहीं दिया तो यह तय है कि आने वाले दिनों में यह मुद्दा भेलकर्मियों और हरिद्वार के बाकी निवासियों के बीच गतिरोध का कारण बनेगा जिससे अप्रिय घटना की आशंका से भी इनकार नहीं किया जा सकता है।