पंच👊नामा
सुल्तान: हरिद्वार:- विधानसभा चुनाव से पहले बसपा को उत्तराखंड में झटके पर झटके लग रहे हैं। हरिद्वार ग्रामीण सीट से अनुपमा रावत का टिकट लगभग तय होने पर सारे सियासी समीकरण बदलने जा रहे हैं। अभी तक बसपा से केवल एक मुस्लिम नेता की कांग्रेस में एंट्री की खबर मिल रही थी। लेकिन 24 घंटे के भीतर ऐसी परिस्थितियां बदली के 2017 में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के सामने बसपा के टिकट से चुनाव लड़ने वाले मुकर्रम हाशिम भी अब कांग्रेस के होने जा रहे हैं। वह पूरे दलबल के साथ देहरादून पहुंच कर कांग्रेस में वापसी करेंगे।
दरअसल 2017 के विधानसभा चुनाव में मुकर्रम अंसारी ने करीब 18 हजार वोट लेकर अपना दमखम दिखाया था। जबकि उनके सामने एक तरफ मौजूदा मुख्यमंत्री हरीश रावत तो दूसरी तरफ सिटिंग विधायक स्वामी यतीश्वरानंद थे। दिलचस्प बात यह है कि लगभग 18 हजार वोट से ही स्वामी यतीश्वरानंद ने तत्कालीन मुख्यमंत्री को शिकस्त दी थी। ऐसे में यह साफ है कि मुकर्रम कि कांग्रेस में वापसी से जिले की सबसे हॉट सीट पर कांग्रेस मजबूत स्थिति में आने जा रही है। पूर्व विधायक अम्बरीष कुमार के शिष्य के तौर पर छात्र जीवन से ही राजनीति में कदम रखने वाले मुकर्रम की वालिदा लतीफन बेगम क्षेत्र में जिला पंचायत सदस्य भी रहे हैं साथ ही इस सीट पर अंसारी बिरादरी का एक बड़ा तबका भी मुकर्रम के पक्ष में माना जाता है। इसलिए भी पूर्व सीएम हरीश रावत ने अनुपमा की जीत पक्की करने के लिए मुकर्रम की वापसी का रास्ता तैयार किया है। कांग्रेस के कई बड़े नेताओं के अलावा मुकर्रम के चचेरे भाई और वरिष्ठ कांग्रेस नेता मुशर्रफ अंसारी उनकी वापसी के सूत्रधार बने हैं। मुकर्रम अंसारी के करीब नदीम अहमद ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि बसपा नेता मुकर्रम हाशिम जल्द ही अपने समर्थकों और कार्यकर्ताओं के साथ देहरादून जाकर कांग्रेस की सदस्यता लेंगे और अगले चुनाव में कांग्रेस की सरकार बनाने के लिए पूरे दमखम से काम करेंगे।
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बसपा ने टिकट काटकर की मुश्किल पैदा….
हरिद्वार: मौजूदा मुख्यमंत्री हरीश रावत और सेटिंग विधायक स्वामी यतीश्वरानंद से मुकाबला होने के बावजूद दमदार प्रदर्शन करने वाले मुकर्रम अंसारी को टिकट न देकर बसपा ने खुद अपने लिए मुश्किल पैदा की है। मुकर्रम को टिकट मिलने पर इस बार यहां बसपा के जीतने की संभावना यहां पहले से कहीं ज्यादा हो सकती थी। लेकिन पार्टी ने टिकट किसी दूसरे दावेदार को थमा दिया। ऐसे में मुकर्रम के सामने भाजपा या कांग्रेस दो ही विकल्प बचते थे। पूर्व सीएम हरीश रावत के राजनीतिक कौशल से प्रभावित होकर आखिरकार मुकर्रम में कांग्रेस में जाने का फैसला लिया।
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स्वागत के साथ विरोध भी शुरू..
हरिद्वार: मुकर्रम के कांग्रेस वापसी का एक तरफ जहां स्वागत हो रहा है, वहीं कुछ नेता और टिकट मांग रहे दावेदारों के समर्थक विरोध में भी जुट गए हैं। सोशल मीडिया पर इस को लेकर खासी बहस छिड़ी हुई है। हालांकि विरोध और बहस का कोई असर मुकर्रम की वापसी पर नहीं होने वाला है। क्योंकि हरीश रावत हरिद्वार ग्रामीण पर राजनीति की बिसात बिछा चुके हैं।