
पंच👊नामा-ब्यूरो
देहरादून: गनर (सुरक्षाकर्मी) पाने के लिए एक भाजपा नेता ने गजब का फर्जीवाड़ा कर डाला। भाजपा नेता नीरज कश्यप ने खुद को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का सलाहकार बताने वाले एक व्यक्ति के साथ मिलकर उत्तराखंड की मुख्य सचिव राधा रतूड़ी के नाम से पत्र जारी करा दिया।

जिसमें भाजपा नेता को सुरक्षा प्रदान करने के आदेश जारी किए गए। पत्र सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद एसएसपी अजय सिंह ने पड़ताल कराई तो फर्जीवाड़े की पोल खुलकर सामने आ गया।

पुलिस ने अब भाजपा नेता नीरज कश्यप सहित तीन व्यक्तियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। अब आरोपियों पर गिरफ्तारी की तलवार लटक गई है।
—————————————

यह विवाद तब शुरू हुआ जब एक पत्र, जो उत्तराखंड के मुख्य सचिव राधा रतूड़ी के नाम से जारी किया गया था, सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। पत्र में भाजपा नेता नीरज कश्यप को सुरक्षा प्रदान करने की बात कही गई थी।

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) देहरादून अजय सिंह ने बताया कि जब इस पत्र की सत्यता की जांच की गई, तो यह फर्जी पाया गया। मुख्य सचिव कार्यालय के वरिष्ठ मुख्य निजी सचिव मोहन लाल उनियाल ने स्पष्ट किया कि ऐसा कोई पत्र कार्यालय से जारी नहीं किया गया है।
—————————————
फर्जीवाड़ा कैसे हुआ…?

जांच में पता चला कि पत्र पर मुख्य सचिव के हस्ताक्षर कूट रचित (कॉपी-पेस्ट) तरीके से लगाए गए थे। पत्र में सुरक्षा प्रदान करने का झूठा दावा किया गया था। नीरज कश्यप ने पूछताछ में बताया कि उनका संपर्क पंडित राज आचार्य उर्फ नागेंद्र के जरिए हुआ था। पंडित आचार्य ने नीरज से यह दावा किया था कि वह गोरखनाथ मठ से जुड़ा हुआ है और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का सलाहकार है।
—————————————
मुख्य आरोपित कौन हैं…?

1:- नीरज कश्यप: भाजपा नेता, जिसने गनर के लिए फर्जी आदेश के लिए संपर्क किया।
2:- पंडित राज आचार्य उर्फ नागेंद्र: खुद को गोरखनाथ मठ और योगी आदित्यनाथ का सलाहकार बताने वाला व्यक्ति।
3: सुधीर मिश्रा: सीसामऊ, लखनऊ निवासी, जिसने कथित रूप से फर्जी पत्र तैयार किया।
—————————————
कैसे हुआ खुलासा..?

जांच में यह बात सामने आई कि 10 फरवरी 2024 को कूटरचित ढंग से पत्र तैयार किया गया था। पंडित राज आचार्य ने पूछताछ में स्वीकार किया कि यह पत्र सुधीर मिश्रा ने भेजा था। एसएसपी अजय सिंह ने बताया कि, “फर्जी दस्तावेज तैयार करना और सरकारी पद का दुरुपयोग करना गंभीर अपराध है। इस मामले की गहनता से जांच की जा रही है। आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
————————————-
महत्वपूर्ण सवाल….
1:- क्या फर्जी आदेश के पीछे कोई राजनीतिक दबाव था..?
2:- क्या अन्य लोग भी इस षड्यंत्र में शामिल हैं..?
3:- ऐसे मामलों को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जाएंगे..?
