पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार: मामूली विवाद में राजनीतिक तड़का लगाकर भाजपाइयों ने हरिद्वार में आचार संहिता व धारा 144 की जमकर धज्जियां उड़ाई। अपनी सरकार होने के बावजूद पहले कोतवाली और फिर जिला अस्पताल में धरना देकर आमजन की नजर में भी किरकिरी कराई। जबकि पुलिस यदि तुरंत हरकत में ना आती तो सांप्रदायिक तनाव होना तय था। ज्वालापुर पुलिस ने वही किया, जो नियमानुसार सही था। लेकिन मामला अलग-अलग समुदाय से जुदा होने के चलते भाजपाइयों ने इसे नाक का सवाल बना दिया और हंगामा खड़ा कर दिया। इतना ही नहीं, कोतवाल रमेश सिंह तनवार को हटाने की मांग को लेकर भाजपाई देर रात तक जिला अस्पताल में धरने पर डटे रहे। एसपी क्राइम पंकज गैरोला और एसपी सिटी स्वतंत्र कुमार सिंह फिलहाल उन्हें मनाने की कोशिश में लगे रहे। तमाम जद्दोजहद के बाद धरना खत्म हुआ और भाजपाइयों को हासिल कुछ नहीं हुआ। पूरे प्रकरण में सवाल यह है कि भाजपाइयों की बात मानी जाए तो पुलिस को क्या दुकानदारों के हाथों पिटने वाले युवक का ही चालान करना चाहिए था। बीच सड़क एक युवक को पीटने वाले आरोपियों को किस आधार पर छूट दी जानी चाहिए थी।
इसको लेकर भाजपा के ही नेताओं में गतिरोध नजर आया। दबी जुबान से कई नेताओं ने धरने और विरोध प्रदर्शन को गलत बताया। इतना हो हल्ला करने के बाद भी भाजपाइयों की मांग पूरी नहीं हुई और उन्हें उल्टे पांव लौटना पड़ा। इस हंगामे के चलते परेशानी झेलने वाले मरीज व तीमारदारों की हाय ज़रूर भाजपाइयों को मिली।
—————————————-
लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू है और शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस प्रशासन रात दिन प्रयत्न कर रहा है। कहीं दूसरे राज्यों की पुलिस के साथ तालमेल बैठक की जा रही है, तो कभी फ्लैग मार्च निकालकर सामाजिक तत्वों को खड़ा संदेश दिया जा रहा है। आदतन अपराधियों और जरायम पेशेवरों के खिलाफ पुलिस का अभियान निरंतर जारी है।
पुलिस प्रशासन का फोकस मिश्रित आबादी और संवेदनशील इलाकों में शांति व्यवस्था बनाए रखने पर है। ताकि शांतिपूर्ण माहौल में निष्पक्ष चुनाव संपन्न हो सके। इस बीच ज्वालापुर क्षेत्र में एक मामूली विवाद के राजनीतिक रंग लेने पर बवाल खड़ा हो गया। अमूमन जब दो पक्षों में विवाद होता है पुलिस समानता शांति भंग में दोनों पक्षों का चालान करती है। लेकिन यहां विवाद विधायक की एंट्री और जिद से शुरू हुआ। रानीपुर विधायक आदेश चौहान का कहना था कि युवक के साथ मारपीट करने वाले चारों दुकानदारों को रिहा किया जाए, अन्यथा पुलिस को उनका भी चालान करना पड़ेगा। क्योंकि इस समय तक पुलिस चालान कर चुकी थी और आरोपियों को कोर्ट में पेश करने की तैयारी थी, इसलिए एक तरफा कार्रवाई के दबाव के चलते विवाद बढ़ता देख उन्हें आनन-फानन में कोतवाली से रवाना कर दिया गया। इस पर विधायक भी आरोपियों के साथ ई-रिक्शा में सवार हो लिए। अगला एपिसोड जिला अस्पताल में आरोपियों का मेडिकल कराने के दौरान शुरू हो गया। यहां भाजपाइयों ने बड़ी संख्या में इकट्ठा होकर धरना देते हुए आचार संहिता को ठेंगा दिखाया और कोतवाल को हटाने की मांग करते हुए जमकर हंगामा किया। भाजपाइयों को अपने ही सरकार में धरने पर बैठना पड़ा, इसको लेकर भी चर्चाएं हो रही हैं।