पंच👊नामा-ब्यूरो
सुल्तान, हरिद्वार: मजारों पर जेसीबी चलने से भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा से जुड़े मुस्लिम नेताओं की जमकर फजीहत हो रही है, वह लोगों के सवालों का जवाब देना तो दूर नज़रें भी नहीं मिला पा रहे हैं।
समाज के लोग उनसे पूछ रहे हैं कि क्या इसी काम के लिए आप भाजपा में शामिल हुए हैं, साथ ही मुस्लिम नेताओं को भी अब इस बात का डर सता रहा है कि चुनाव के समय अपने समाज से आखिर किस मुंह से भाजपा के लिए वोट मांगेंगे। अल्पसंख्यक मोर्चा के पदाधिकारियों और नेताओं के साथ ही उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स भी मुस्लिम समाज के निशाने पर हैं।
आक्रोशित लोग सोशल मीडिया पर शादाब शम्स को खरी-खोटी सुनाते हुए इस्तीफे की मांग कर रहे हैं।
शादाब शम्स से सवाल इसलिए भी पूछा जा रहा है कि ज्वालापुर आर्यनगर क्षेत्र से हटवाया गया मजार उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अभिलेखों में दर्ज है।
लोग हैरान हैं कि इसके बावजूद उत्तराखंड वक्फ बोर्ड ने कार्रवाई में दखल देने की जहमत नहीं उठाई।
———————————————————-
“उमेश कुमार की एंट्री से बदले समीकरण……
मजार हटाने को लेकर प्रशासन और स्थानीय मुस्लिम समाज के जनप्रतिनिधियों के बीच वार्ताओं का दौर जारी था। फिर ऐसा क्या हुआ कि खानपुर विधायक उमेश कुमार के जिलाधिकारी से मिलने के अगले ही दिन मजार पर जेसीबी चल गई।
इसको लेकर कई तरह की चर्चाओं का दौर जारी है। जानकार बता रहे हैं कि उमेश कुमार की एंट्री के बाद पर्दे के पीछे से कई भाजपा नेता और विधायक अचानक सक्रिय हो गए। उन्हें लगा कि यदि उमेश कुमार के दखल देने पर कार्रवाई रुक जाती है तो जिले के भाजपा नेताओं की सियासी हैसियत शून्य हो जाएगी और लोकसभा चुनाव में भी इसका असर पड़ना तय है।
यह भी चर्चा है कि उमेश कुमार की जिलाधिकारी से मुलाकात के बाद कई नेताओं ने देहरादून तक संपर्क साधा और अचानक सारे समीकरण बदल गए। प्रशासन को अगले ही दिन कार्रवाई करनी पड़ी। यही वजह है कि कार्रवाई के दौरान मुस्लिम समाज के लोगों ने प्रशासन के अधिकारियों पर वादे से मुकरने का आरोप भी लगाया।
———————————————————
“तीनों मुस्लिम विधायकों के नकारेपन पर भी सवाल……
हरिद्वार: अभियान को लेकर जहां सतपाल ब्रह्मचारी जैसे कांग्रेस नेताओं और ज्वालापुर विधायक रवि बहादुर ने खुलकर विरोध जताया। वहीं, जिले के तीनों मुस्लिम विधायकों ने इस पर कोई आपत्ति तक दर्ज नहीं कराई। जबकि मुस्लिम समाज ने तीनों ही विधायक यानि पिरान कलियर से तीन बार के विधायक फुरकान अहमद, मंगलौर विधायक सरवत करीम अंसारी और लक्सर विधायक शहजाद को पूरे मामले से अवगत कराते हुए दखल देने की मांग की थी। इसके बावजूद किसी भी विधायक ने इस मामले को लेकर जिलाधिकारी से मिलने की जरूरत नहीं समझी।
जबकि अपने कार्यकर्ता और समर्थकों के कामकाज को लेकर अक्सर विधायकगण जिला मुख्यालय पर अधिकारियों से मिलते हुए नजर आते हैं। पिछले दिनों कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर आज आने के बाद विधायक फुरकान अहमद ने तो हरिद्वार पहुंचकर गिरफ्तारी दी थी।
मुस्लिम समाज की आस्था से जुड़े इस मुद्दे को लेकर तीनों मुस्लिम विधायकों ने आखिर क्यों दूरी बनाए रखी, इसको लेकर मुस्लिम समुदाय में नाराजगी देखी जा रही है। तीनों मुस्लिम विधायकों ने इस पूरे प्रकरण को लेकर अपना मुंह बंद रखना क्यों जरूरी समझा, यह सवाल भी लोगों के जहन में कौंध रहा है।
——————————————————-
“इन भाजपा मुस्लिम नेताओं ने खुलकर जताया विरोध…….
ज्वालापुर के कई मुस्लिम नेता ऐसे भी हैं। जिन्होंने भाजपा में होने के बावजूद खुलकर कार्रवाई का विरोध किया। इनमें भाजपा नेता हाजी जमशेद खान और हाजी मुकर्रम अली प्रमुख रूप से शामिल हैं। इसके लिए भले ही भाजपा के लोग उन्हें तिरछी नज़र से देखें, लेकिन उन्होंने समाज के कंधे से कंधा मिलाकर अपनी आपत्ति दर्ज कराई। नामित पार्षद हारून खान भी विरोध दर्ज कराने वालों में शामिल है। वहीं, कांग्रेस के मुस्लिम नेता तो खुलकर विरोध जता ही चुके हैं।