पंच👊नामा ब्यूरो
देहरादून: 80 के दशक की फिल्मों में दिखाया जाता था कि मकान खाली कराने के लिए माफिया बुलडोजर लेकर पहुंच जाता था और तोड़फोड़ कर अपना कब्जा जमा लेता था। पुलिस खुली आंखों से तमाशा देखती रहती थी। आज के दौर में किसी भी राज्य के शहर या गांव बस्ती में हकीकत में ऐसा होने की उम्मीद नहीं की जा सकती है। लेकिन हैरत की बात है यह सब उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में हुआ है। जहां नीचे से लेकर आला नौकरशाह तक विराजमान रहते हैं। हैरानी की बात यह है कि पुलिस की मौजूदगी में एक नेवी कमांडर का घर बुलडोजर से तोड़ दिया गया और पुलिस हाथ पर हाथ धरकर बैठे रही। डीजीपी से शिकायत के बाद 5 दिन बाद आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ। लेकिन कार्रवाई अभी तक नहीं हुई। इस बीच पुलिस कप्तान ने थानाध्यक्ष को सस्पेंड जरूर किया है। बुजुर्ग महिला अब कार्रवाई के लिए चुनाव आयोग के दर पर पहुंच गई है।
पीड़िता कुसुम कपूर ने बताया कि उनके पति विनोद कुमार कपूर नेवी में कमांडर थे। वह परिवार सहित 1996 से क्लेमेनटाउन स्थित सुभाष नगर में रह रहे थे। जबकि इससे पहले उनके रिश्तेवर इस मकान में रहते थे। उनका केयर टेकर के साथ मकान खाली करने को लेकर कोर्ट में केस चल रहा था। फरवरी 2021 में उनके पति का निधन हो गया था। बेटी दिमागी तौर पर अस्वस्थ है, उसे साथ लेकर वह सात जनवरी को नोएडा गई थी। इस दौरान घर पर सिर्फ केयर टेकर व पीजी में रह रहे छात्र थे। 12 जनवरी की सुबह उन्हें पड़ोस में रहने वालों ने सूचना दी कि उनके मकान को बुल्डोजर से तोड़ा जा रहा है। वह देहरादून पहुंची तो तब तक दबंग उनके मकान को तहस-नहस कर चुके थे। वह कीमती सामान लाखों के गहने उनके पति के अवार्ड व अन्य सामान भी ट्रकों में भरकर ले गए।
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पुलिस ने लिया दबंगों का पक्ष
पीड़िता का आरोप है कि शिकायत करने थाने में पहुंचीं तो पुलिस ने दबंगों का पक्ष लिया और उन्हें भगा दिया। इसके बाद वह न्याय की गुहार लगाकर इधर-उधर भागती रही, लेकिन किसी ने उनकी नहीं सुनी। इसके बाद उन्होंने डीजीपी से शिकायत की। डीजीपी ने दबंगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए। इस मामले में पुलिस ने 17 जनवरी को अमित यादव, मोना रंधावा, सौरभ कपूर समेत 40 अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया। आरोप है कि थानाध्यक्ष ने हल्की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया। इस पर डीजीपी ने नाराजगी जताते हुए डकैती व अन्य गंभीर धाराएं लगाने के निर्देश दिए हैं। इस मामले में थानाध्यक्ष नरेंद्र गलावत को सस्पेंड कर दिया गया है। लेकिन पीड़िता का कहना है कि आरोपियों के खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। इसलिए उन्होंने चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाया है। जिसमें उन्होंने पूरी घटना में पुलिस की मिलीभगत का आरोप भी लगाया है। माना जा रहा है कि चुनाव आयोग अगर इस मामले का संज्ञान लेता है तो पुलिसकर्मियों के अलावा कई अधिकारी भी नप सकते हैं।
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