पंच👊नामा ब्यूरो
रुड़की: चर्च में घुसकर मारपीट व तोड़फोड़ के मामले में पुलिस ने भाजपा और हिंदू संगठनों के पदाधिकारियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी है। वहीं, चर्च से जुड़े लोगों पर दर्ज मुकदमे में फाइनल रिपोर्ट लगाकर फाइल बंद कर दी गई है। मतलब साफ है कि पुलिस की जांच में लालच देकर धर्मांतरण के कोई सुबूत नहीं मिले हैं। जिससे कई सवाल भी उठ रहे हैं कि क्या भाजपाइयों पर मुकदमा दर्ज होने के बाद केवल दबाव बनाने के लिए चर्च से जुड़े लोगों पर क्रॉस एफआईआर दर्ज की गई थी
रुड़की की सोलनपुरम कॉलोनी में छह अक्तूबर को चर्च में प्रार्थना के दौरान धर्मांतरण का आरोप लगाते हुए भाजपा और हिंदूवादी कार्यकर्ताओं ने घुसकर लोगों से मारपीट कर दी थी। जमकर तोड़फोड़ भी की गई थी। चर्च प्रमुख की तहरीर पर पुलिस ने भाजपाइयों और विश्व हिंदू परिषद के सात नेताओं को नामजद करते हुए 250 अज्ञात लोगों के खिलाफ मारपीट, तोड़फोड़, डकैती का मुकदमा दर्ज किया था। दूसरे पक्ष की ओर से आदर्शनगर निवासी महिला ने भी चर्च से जुड़े लोगों पर दो-दो लाख रुपये और नौकरी का लालच देकर धर्मातरण का दबाव बनाने का आरोप लगाया था। जिस पर पुलिस ने चर्च प्रमुख समेत दस लोगों पर मारपीट, डकैती, छेड़खानी, एससीएसटी का मुकदमा दर्ज किया था। बाद में भाजपाइयों पर भी एससी-एसटी को धारा बढ़ा दी थी। जांच के दौरान दोनों पक्षों से एससी-एसटी की धारा हटा दी थी। साथ ही विश्व हिंदू परिषद के विभाग मंत्री शिव प्रसाद त्यागी और बजरंग दल के जिला सह संयोजक सुनील कश्यप को गिरफ्तार भी किया था। पुलिस की जांच में चर्च में घुसकर तोड़फोड़ और मारपीट के आरोप सही पाए गए। इसलिए भाजपाइयों के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी गई। जबकि चर्च से जुड़े लोगों पर लालच देकर धर्मांतरण जैसे आरोप झूठे निकले। इसलिए मुकदमे में फाइनल रिपोर्ट दाखिल कर दी गई है। हालांकि पुलिस ने भाजपाइयों के खिलाफ दर्ज मुकदमे से सभी गंभीर धाराएं भी हटा ली है लेकिन चर्च से जुड़े लोगों पर सारे ही आरोप गलत पाए गए हैं। सत्ताधारी पार्टी और हिंदू संगठनों के खिलाफ मुकदमा दर्ज होते ही अवैध धर्मांतरण के आरोप में चर्च से जुड़े लोगों पर मुकदमा दर्ज होने पर यह आरोप लग रहा था कि दबाव बनाने के लिए ही यह मुकदमा दर्ज कराया गया है। पुलिस की फाइनल रिपोर्ट से इन आरोपों को ना सिर्फ बल मिल रहा है, बल्कि कई तरह के सवाल भी खड़े हो रहे हैं।