
पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार, यूं तो इन दिनों मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की पहल पर ड्रग्स फ्री देवभूमि अभियान के तहत नशे के धंधे बाजो पर कार्रवाई की जा रही है, लेकिन धर्मनगरी में न जाने क्यों अवैध शराब का बड़ा धंधा इस अभियान से बाहर है।

यहां पुलिस-आबकारी महकमे की एक लाडली जोड़ी शराब के अवैध कारोबार को सिंडीकेंट ढंग से संभाल रही है, यह जोड़ी अपनी सेटिंग गेटिंग के बूते हरकी पैड़ी के आस-पास भी शराब उपलब्ध कराने की कुव्वत रखती है। निचले स्तर से लेकर छोटे साहब तक, यह जोड़ी कईयों के वारे के न्यारे कर रही है।

उत्तरी हरिद्वार में सक्रिय में शराब माफिया की जोड़ी कई साल से शराब के अवैध कारोबार में लिप्त है, पहले छोटे स्तर पर यह जोड़ी एक्टिव थी। लेकिन मौजूदा समय में यह जोड़ी पूरा नेटवर्क चला रही है। पूर्व में दो साहब तो इस जोड़ी के हम-प्याला भी थे, उन्होंने छोटे साहब का भी परिचय कराया।

संरक्षण के चलते ही शहर में यह जोड़ी अपने धंधे को बखूबी अंजाम दे रही है। चर्चा है कि अवैध धंधे की कमान संभाल रही इस जोड़ी पकड़ बेहद ही मजबूत है और इनकी नजदीकी कई सरकारी मुलाजिमों से है। आबकारी महकमा तो कभी अवैध शराब की धरपकड़ में दिलचस्पी लेता ही नहीं है।

आबकारी का एक निरीक्षक स्तर का अफसर देहरादून की कृपा से पद पर बना हुआ है, उन्हें अवैध शराब के कारोबार से दूर दूर तक कोई लेना देना नहीं है। बड़ा सवाल यह है कि पुलिस महकमे के आला अफसर शराब के कारोबार की कमर तोड़ने में रुचि आखिर क्यों नहीं लेते है, ऐसे में हवा में तैर रहे कारण को ही हकीकत समझा जा सकता है।
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“ठेकों से डिलीवर्ड हो रही शराब….

हरिद्वार, यह जोड़ी सरकारी ठेकों से ही शराब की डिलीवरी लेती है। ऐसा नहीं है कि इसकी जानकारी पुलिस-आबकारी महकमे को नहीं है। जब ठेकों से ही शराब की डिलीवरी ली जाती है, ऐेसे मे उस स्थान पर ही कार्रवाई क्यों नहीं की जाती है। पूरे शहर को एरिया के अनुसार बांटा गया है। इस जोड़ी का काम ठेकों से शराब लेकर अलग अलग क्षेत्र के छुटभैय्या तस्करों को उपलब्ध कराना है। एक पव्वे पर दस से पंदह रुपये का मुनाफा यह जोड़ी कमाती है और रोजाना कई हजार पव्वे बेचे जाते है। देसी शराब की अधिक डिमांड है, यही नहीं अंग्रेजी शराब की भी रोजाना खेप उतरती है।