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कुर्सी के लिए साजिश: चर्चित इंस्पेक्टर की “चेलागर्दी” का नया कारनामा, चर्चाओं का बाजार गर्म..

उस्ताद को रह-रहकर सता रहा कुर्सी का गम, चेले नहीं भूल पा रहे सरकारी गाड़ी की सैर और लज़ीज़ दावत..

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पंच👊नामा-ब्यूरो
सुल्तान, उत्तराखंड: सरकारी विभाग में कुर्सी के लिए गुणा-भाग आम बात है, लेकिन पुलिस महकमे में कई मर्तबा जोड़-तोड़ से निकल कर बात साजिश तक पहुंच जाती है।

काल्पनिक फोटो

जिले में इन दिनों ऐसी ही साजिश की चर्चाएं जोरों पर हैं। “पंच👊नामा के ख़ास खबरी “लल्लन सिंह” ने रिपोर्ट दी है कि एक चर्चित इंस्पेक्टर कुर्सी खिसकने का गम बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं। कोतवाली संभालने पर उन्होंने भले ही कोई तीर ना मारा हो, लेकिन चेलागर्दी में अव्वल रहे।

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चेलों को “सरकारी गाड़ी में घुमाने से लेकर कमरे पर अक्सर दावत खिलाने तक कई कारनामे सुर्खियों में आने के बाद बड़े साहब ने इतनी सफाई से कुर्सी हिलाई के पता ही नहीं चला। साहब बहादुर को उम्मीद थी कि जल्द ही कुर्सी पर वापसी होगी, लेकिन पारखी नजर रखने वाले बड़े साहब ने सारी गलतफहमी दूर कर दी। अब “उस्ताद हैरान और चेले परेशान” हैं, करें तो क्या करें। सो मिलकर साजिशें ही करने लगे।

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ऐसी चर्चा जोरों पर हैं कि उस्ताद-चेले मिलकर फर्जी शिकायतों की साजिश रचने में जुटे हैं। दरअसल, उस्ताद की परेशानी कुर्सी और चेलों की तो पूरी दुकान ही बंद हो गई। नए कोतवाल के निजाम में चेलागर्दी की कोई जगह नहीं। काम हो तो 100 बार आइए और इज्जत के साथ तशरीफ़ ले जाइए। लेकिन काम न हो तो फटकने की सोचना भी मत।

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बात भी सही है, कोतवाली किसी की मौसी का घर नहीं, जो रोज़ सुबह मुंह उठाए चले आए। इसलिए कइयों के पेट में दर्द होना लाज़िम है। कुल मिलाकर साजिशन फर्जी शिकायतों की चर्चाएं जोरों पर हैं। मगर अच्छी बात ये है कि बड़े साहब उड़ती चिड़िया के पंख गिनने में माहिर हैं, महकमे की हर छोटी-बड़ी, आड़ी-तिरछी हरकत पर नजर रखते हैं। मौका पड़ते ही धोबी पछाड़ देने से भी नहीं चूकते। ऐसे में देखने वाली बात यह है कि उस्ताद-चेले कितने दिन साजिश का खेल जारी रख पाएंगे।

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