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हिना और सलीम के घर से उठी बेटी सुनीता की डोली…

नफरतों के दौर में देवभूमि उत्तराखंड ने दिया मोहब्बत का पैग़ाम..

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पंच👊नामा-ब्यूरो
इन दिनों देशभर से जहां सांप्रदायिक हिंसा की खबरें आम हैं, तो वही देवभूमि उत्तराखंड के श्रीनगर गढ़वाल से एक सौहार्दपूर्ण इंसानियत की मिसाल पेश करती खबर सामने आई है। यहां एक मुस्लिम परिवार ने निर्धन हिन्दू बेटी को बचपन से पाल-पोस कर पूरे हिन्दू रीतिरिवाज से उसका विवाह संपन्न कराया है। इस शादी में क्षेत्र के लोगो ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया है। इस दौरान बेटी की विदाई पर सभी की आंखे नम नज़र आई।श्रीनगर के टम्टा मोहल्ले में प्यारे लाल की बेटी सुनीता की शादी वरिष्ठ कांग्रेसी रहे मुहम्मद सिद्दीकी की पुत्री हिना और उनके परिवार वालों ने धूमधाम से कराई। शादी में सिर्फ हिना के परिवार वालों ने ही नहीं क्षेत्रवासियों ने भी बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया। शादी में जाति-धर्म के भेद से हटकर इंसानियत को सबसे महत्वपूर्ण मान दिया है।सबने मेंहदी, हल्दी, बान, सात फेरे सहित हिन्दू विवाह की सभी रस्में भी पूरी धूमधाम के साथ पूरी की। सब रस्मे हिना के घर में पूरी हुई तो फेरे काली मंदिर में कराए गए। जब सुनीता की विदाई हुई तो ये माहौल देखकर उपस्थित हर एक की आंखे नम हो गई। इतना ही नहीं उन्होंने सुनीता को बेटी की तरह विदा भी किया। बताया जा रहा है कि सुनीता की मां का निधन कई साल पहले हो गया था। उसके पिता प्यारेलाल के साथ ही उनके पुत्र-पुत्री की देखभाल का जिम्मा भी हिना और सलीम ने एक माता-पिता की तरह किया है। हिना की सास जरीना खातून बचपन में स्वयं सुनीता को स्कूल ले जाती थीं। सुनीता के पिता प्यारे लाल की देखभाल भी हिना का परिवार ही करता हैं। हर तरफ इस शादी के चर्चे है तो वहीं हिना और उनके परिवार की सराहना की जा रही है।

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घर पर कराया बारात को भोजन

बरातियों का भोजन भी उन्होंने अपने ही घर में करवाया। इसके लिए अपने घर की छत पर टेंट लगाया व यहां मेहंदी की रस्म व हल्दी की रस्म अदा की। जब देहरादून से सोनू बरात लेकर पहुंचा, तो पूरे हर्ष व उल्लास के साथ दोनों समुदाय के लोगों ने बरात का स्वागत किया। काली मंदिर में सजाए गए मंडप में हिंदू रीति रिवाज के साथ दोनों को पंडित ने सात फेरों की रस्में पूरी करवाई। इस मौके पर मोहल्ले के लोगों की ओर से सुनीता और सोनू को बहुत सारे उपहार भी दिए। साथ ही शादी का खर्च उठाने वाले हीना और सलीम ने हिंदू और मुस्लिम समुदाय के लोगों को दावत भी दी। दोपहर बाद जब सुनीता की विदाई हुई, तो यहां मौजूद लोगों की आंखें नम हो गई

आठ साल की उम्र में उठ गया था मां का साया

हीना और सलीम ने बताया कि प्यारे लाल की एक लड़की और एक लड़का है। लड़का मेहनत मजदूरी करता है। जब सुनीता करीब 8 वर्ष की थी, तो उसकी माता का निधन हो गया था। 25 अप्रैल को सुनीता की सगाई देहरादून निवासी सोनू से हुई थी। जो अपने जीजा के साथ ठेकेदारी का काम करता है। परिवार की माली हालत प्यारे लाल के लिए बेटी की शादी करना बड़ी चुनौती बन गई थी। ऐसे में हीना खान व सलीम खान ने सुनीता की शादी का बीड़ा उठाया।

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